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गुप्तचर विशेष: जानिए कहाँ है ‘नरक का दरवाज़ा’, सालों से धधक रही हैं आग की लपटें

नई दिल्ली| दुनियाभर के असंख्य दरवाजों में नर्क का द्वार ही एकमात्र ऐसा है, जिसे किसी ने देखा नहीं है लेकिन उसके लिए मन में उत्सुकता खूब है.आपको बता दें की तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान को नरक का दरवाजा माना जाता है. पूरा देश कोरोना वायरस संक्रमण से जूझ रहा है.

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पिछले साल कोरोना की खबरों के बीच तुर्कमेनिस्तान से एक बिल्कुल अलग तरह की खबर सामने आई थी. वहां कोरोना शब्द बोलने तक पर पाबंदी थी और सरकारी दावा था कि देश में एक भी कोरोना केस नहीं है. यह बात काफी अजीब थी लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें, तुर्कमेनिस्तान में मौजूद काराकुम रेगिस्तान में उससे भी ज्यादा रहस्यमयी  चीज है.

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नरक से निकलती है आग
तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान में दरवाजा नाम का एक गड्ढा है. इसमें पिछले 5 दशकों से आग धधक रही है (Karakum Desert Fire). पूरी दुनिया में इसे नरक का दरवाजा कहा जाता है. यह गड्ढा दरअसल एक गैस क्रेटर (Natural Gas Crater) है, जिसमें से मीथेन गैस की वजह से आग निकल रही है. अपने इसी रहस्य के चलते यह जगह सैलानियों के लिए बड़ा आकर्षण है.

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कब लगी थी रहस्यमय आग
बताया जाता हैं कीसाल 1971 में सोवियत संघ के भूवैज्ञानिक काराकुम के रेगिस्तान में कच्चे तेल के भंडार की खोज कर रहे थे.यहां एक जगह पर उन्हें प्रकृतिक गैस के भंडार मिले, लेकिन खोज के दौरान वहां का ज़मीन घंस गई और वहां तीन बड़े-बड़े गड्ढे बन गए.

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इस गड्ढों से मीथेन के रिसने का ख़तरा था जो वायुमंडल में घुल सकता था. एक थ्योरी के अनुसार इसे रोकने के लिए भूवैज्ञानिकों ने उनमें से एक गड्ढे में आग लगा दी. उनका मानना था कि कुछ सप्ताह में मीथेन ख़त्म हो जाएगी और आग अपने आप बुझ जाएगी.लेकिन कोरोनिस कहते हैं कि इस कहानी को सच माना जा सके इसके पक्ष में उन्हें कोई दस्तावेज़ नहीं मिले.

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काफी ऊंचाई तक दिखती हैं लपटें
जिस गड्ढे में आग जल रही है, वह 229 फीट चौड़ा है और उसकी गहराई तकरीबन 65 फीट है. इससे जलने पर निकलने वाली मीथेन और सल्फर की बदबू काफी दूर तक फैली रहती है. यह आग इतनी भयानक है कि इसकी लपटें कई मीटर की ऊंचाई तक उठती रहती हैं. साथ ही गड्ढे के भीतर खौलती हुई मिट्टी भी दिखाई देती है.

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