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Independence Day: आजादी से पहले देश में क्यों मची थी तबाही? पढ़ें भारत-पाक विभाजन की कहानी

@Vibhanshu Dwivedi  15 अगस्त 1947 को हमें आजादी मिली, इसलिए हम हर वर्ष 15 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। देश स्वतंत्रता की 75वीं सालगिरह मनाने की तैयारी में जुटा है। स्वतंत्रता दिवस के दिन हम उन वीर जवानों को याद करते हैं जिन्होंने हमें आजाद कराने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। लेकिन आजादी के वक्त बहुत सारे लोग दुखी थे। देश के कई हिस्सों में मातम का माहौल था‌। एक तरफ देश में आजादी का जश्‍न मनाने की तैयारी चल रही थीं तो दूसरी तरफ भारत-पाकिस्‍तान बंटवारे के चलते चारों ओर खून-खराबा मचा था। आइए जानते हैं कि आजादी से ठीक पहले देश में क्यों तबाही मची थी?
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भारत की आजादी के ठीक पहले देश के दो टुकड़े
भारत की आजादी से पहले हिंदुस्तान दो भागों में बंट गया। आजादी के जश्न की रौनक बंटवारे के दर्द से फीकी हो गई। एक हिस्सा हिंदू बहुल भारत बना और दूसरा मुस्लिम बहुल पाकिस्तान बनाया। इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने अपने घर छोड़ कर बंटवारे के तहत निर्धारित मुल्कों की ओर रुख किया। कुछ भारत से पाकिस्तान गए तो कुछ पाकिस्तान से भारत आए। कई लोग अपने परिवार वालों से बिछड़ गए। अपनों से बिछड़ने का दुख लोगों के चेहरे पर साफ दिख रहा था।
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लाखों लोगों ने गंवाई जान, करोड़ों हुए बेघर
भारत पाकिस्तान विभाजन लोगों के बीच बहुत बड़ी त्रासदी लेकर आया। विभाजन के दौरान लाखों लोगों ने भड़के दंगों में अपनी जान गवाई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बंटवारे के दौरान हुई हिंसा में करीब 500000 लोग मारे गए और करीब 1.45 करोड़ लोगों ने अपना घर बार छोड़कर दूसरे देश में शरण ली। विभाजन में करोड़ों लोग प्रभावित हुए। लोगों के बीच अराजकता का माहौल बन गया था। एक धर्म दूसरे धर्म का दुश्मन बन गया था। बंटवारे की घोषणा होते ही एक स्‍थान पर सालों से रहने वाले अपना घर बार, जमीन, दुकानें, जायदाद, संपत्‍ति, खेती किसानी छोड़कर हिंदुस्‍तान से पाकिस्‍तान और पाकिस्‍तान से हिंदुस्‍तान आ गए।
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आजादी के दैरान चारों तरफ हुआ खून-खराबा
हिंदुस्‍तान-पाकिस्‍तान बंटवारा महज 50 से 60 दिन के भीतर हुआ। ऐसा कहा जाता है कि बंटावारे के दौरान दोनों तरफ मारकाट इस बड़े पैमाने पर मची थी। हिंसा में जहां लाखों लोगों ने जान ली वहीं इस दौरान हजारों महिलाओं, युवतियों, बच्चियों के साथ दरिंगदी की घटनाएं हुईं। विभाजन की त्रासदी ने महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग तक को नहीं बख्शा। सब हिंसा की भेंट चढ़े।

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