नई दिल्ली (वीएनएस)। RSS यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत गुजरात के मुदेती गांव में श्री भगवान याज्ञिवल्क्य वेद संस्कृत महाविद्यालय के कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान संघ प्रमुख ने अमेरिका, रूस, चीन समेत दुनिया के बड़े देशों के साथ भारत की नीतियों पर बात की। उन्होंने कहा कि बलवान होकर बड़े देश क्या करते हैं, डंडा चलाते हैं। पहले रूस चलाता था, उसको अमेरिका ने गिरा दिया। उसने अपना डंडा चलाना शुरू किया। अब चीन आया है। ऐसा लगता है कि वह अमेरिका को पछाड़ देगा। यही वजह है कि यूक्रेन को मोहरा बना कर अमेरिका और रूस लड़ रहे हैं।
RSS चीफ ने कहा कि हमसे कह रहे हैं कि हमारा सपोर्ट करो, लेकिन हमने साफ कर दिया कि आप दोनों ही हमारे दोस्त हैं और आप दोनों के बीच जो मर रहा है हम उसके भी दोस्त हैं। इसलिए पहले जंग बंद करो। आज भारत दुनिया को ऐसा बोलने की क्षमता रखता है। भागवत ने कहा कि आज जब भी किन्हीं देशों के बीच जंग होती है तो भारत कहता है ये लड़ाई का जमाना नहीं है, लड़ना बंद करो। ये कहने भारत खड़ा होता है, जो कहने की हिम्मत पहले नहीं थी।
मोहन भागवत ने कहा कि श्रीलंका चीन से दोस्ती करता था। पाकिस्तान से करता था। हमको दूर ही रखता था, लेकिन जब खतरे में पड़ा तो उसकी मदद के लिए कौन आगे आया। एक ही देश सामने आया भारत। क्योंकि धर्म को मानने वालों का देश दुनिया में कभी भी किसी का लाभ नहीं उठाएगा। क्योंकि ये धर्म के मानने वालों का देश है और जो देश धर्म को मानने वाला होता है, वह किसी का लाभ नहीं उठाता। वह किसी से लेता नहीं है। सिर्फ प्रेम का लेनदेन करता है।
उन्होंने कहा कि भारत लाभ लेने वाला नहीं, अपना लाभ दूसरों को देने वाला देश है। दान देने, खुद का पेट भरने से पहले दूसरों का पेट भरना यह हमारी जन्मजात प्रवृत्ति है। ये हमें साइंस ने नहीं, बल्कि धर्म ने सिखाया है। क्योंकि साइंस का तरीका अलग है। वह सिर्फ प्रयोगों से गुजरता रहता है। साइंस तो कहता है कि भगवान भी टेस्ट ट्यूब में दिखना चाहिए, तभी मानेंगे की भगवान सचमुच में है। साइंस परमाणु के छोटे से छोटे अणु को देखता है, लेकिन अणु से पहले क्या है, वह नहीं देख पाता। तो ऐसे में आप ये कल्पना कैसे कर सकते हो कि भगवान टेस्ट ट्यूब में आएगा। इसीलिए साइंस अहंकारी है।
RSS प्रमुख ने कहा कि सूर्य की उत्पत्ति कैसे हुई। इसका पता करने के लिए दुनिया में कोई लेबोरेटरी नहीं बनाई जा सकती। इसका पता करने के लिए तो बस चिंतन और विचार है। ब्रह्मांण के बारे में ग्रहों के बारे में हमारे ऋषि-मुनियों ने चिंतन और विचार से ही स्वरों की खोज की और पता लगाया कि सृष्टि का निर्माण स्वरों से ही हुआ। विज्ञान भी इसी बिग-बैंग की थ्योरी के बारे में कहता है, जो कि हमारे ऋषियों ने अपने आत्मज्ञान से पहले ही कह दी थी। वेदों में केवल शब्द नहीं हैं। उस प्रत्येक शब्द का स्वर है। हमारे मुनियों ने लोक कल्याण के लिए तप किया। अपने स्वार्थ के लिए नहीं किया।
भागवत ने कहा कि सनातन धर्म का उत्थान हो ये भगवान की इच्छा है। सनातन धर्म ही हिंदू राष्ट्र है। हिंदू राष्ट्र ही सनातन धर्म है। इसलिए हिंदू राष्ट्र का उत्थान सनातन धर्म के लिए होना बहुत जरूरी है। इसका उत्थान हो रहा है। इसको हम देख रहे हैं। सनातन धर्म चलते आया हुआ है किसी को उसका उद्गम पता नहीं, वह हमेशा चलता रहेगा, लेकिन धर्म क्या है। उसे जानने की आवश्यकता है। बिना वेदों को जाने धर्म के बारे में कभी नहीं जान पाएंगे। क्योंकि सभी धर्मों का मूल वेदों में हैं। धर्म वास्तव में क्या है तो धर्म स्वभाव और कर्तव्य का मेल है। हमारा अपना-अपना स्वभाव होता है। हर चीज का अपना स्वभाव है। स्वभाव से रहित कोई भी वस्तु नहीं है। मिट्टी, अग्नि, वायु सभी का अपना-अपना स्वभाव है।
RSS चीफ मोहन ने कहा कि विज्ञान हर चीज को अलग-अलग करके बताता है। इसलिए ये हमें कन्फ्यूज भी कर देता है। आज हम विज्ञान के आदी हो गए हैं। आगे जाकर मनुष्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का गुलाम बन जाएगा। मानव जाति रहेगी ही नहीं। विज्ञान ने जड़ दृष्टि कर दी है और यह जड़ दृष्टि मनुष्य को भी बायोलॉजिकल एनिमल मानती है।गृहस्थ जीवन के बारे में बताते हुए भागवत ने कहा कि जब भी घर में खाना बनाओ तो खुद खाने से पहले चीटियों को, पक्षियों को, कुते-गाय को दो। इसके बाद देखो कि आसपास तो कोई भूखा नहीं है। अगर वह भूखा है तो उसे अपना घर लाकर भोजन करवाओ। इसके बाद खुद भोजन करो। यही गृहस्थ जीवन का नियम है। इसके साथ ही उन्होंने कई मुद्दों पर बात की।