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सोने से भरी गगरी सौंपी थी इंदिरा गांधी को, इनाम स्वरूप मिले 20 एकड़ जमीन के लिए काटते रहे चक्कर, इंतजार करते हुए कह दिया दुनिया को अलविदा

गोड़ियापट्टी गांव के खेदारू तब तीस साल के नौजवान थे जब उनकी ईमानदारी मिसाल बन गई थी। बात 1980-81 की है जब खेदारू नारायणपुर घाट रोड (तब भट्टी रोड) में छोटी सी परचून की दुकान चलाया करते थे।

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उन्हें दुकान के पीछे खंडहर में दस किलो सोने से भरी गगरी (घड़ा) मिली थी। खेदारू ने तुरंत प्रशासन को सूचित किया और यह शर्त रखी कि वे इसे अपने हाथों से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सौंपने की इच्छा रखते हैं।

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उनकी इस जिद पर प्रशासन ने तुरंत व्यवस्था की और उन्होंने दिल्ली जाकर स्वयं सोने से भरी गगरी प्रधानमंत्री को सौंपी। खेदारू की इस ईमानदारी से खुश होकर इंदिरा गांधी ने उन्हें 20 एकड़ जमीन का पट्टा इनाम स्वरूप दिया।

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लेकिन खेदारू कई साल तक दफ्तरों-अफसरों के चक्कर काटते रहे लेकिन उन्हें इनाम में मिली जमीन नहीं मिल पाई। अंत में, उन्होंने उम्मीद छोड़कर प्रयास करने ही बंद कर दिए। चालीस साल से मुफलिसी में जिंदगी गुजार रहे खेदारू का सोमवार को निधन हो गया।

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परिजनों के मुताबिक खेदारू को मदनपुर व नौरंगिया में 20 एकड़ जमीन का पट्टा इनाम स्वरूप मिला था। लेकिन तब उस जमीन पर अतिक्रमण था। वह पट्टा लेकर डीएम से सीओ तक दौड़ भाग करता रहा। पहले अतिक्रमण और फिर बाद में जंगल की जमीन बताकर उसे बैरंग लौटा दिया गया।

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पड़ोसी किसान और जदयू किसान प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने बताया कि घटना 1981-82 की है जब खेदारू भट्टी रोड में परचून की दुकान चलाया करता था। दुकान के पीछे खंडहरनुमा मकान से उसे सोने से भरी गगरी मिली थी।

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खेदारू के पड़ोसी व मित्र सरदार मियां ने बताया कि तत्कालीन डीएसपी डीएन कुमार ने उन्हें सोना सहित गगरी प्रशासन को सौंपने को कहा, किंतु उसने मना कर दिया। उसने कहा कि वह स्वयं यह गगरी सौपना चाहता है। खेदारू को दिल्ली ले जाया गया। हमलोगों ने इंदिरा जी के साथ उसकी तस्वीर भी देखी थी। किंतु रख-रखाव के अभाव में वह तस्वीर खराब हो गई।

सब मजदूर बन के रह गइलन

खेदारू की पत्नी हदीसन खातून ने कहा, गगरा मिलल रहे। हमनी के कहनी सन कि केहू नईखे जानत। एकरा रख लेल जाओ। बाकि हमार पति के त ईमानदारी के भूत सवार रहे। जाके इंदिरा जी के गगरी दे अयलन। इनाम में जमीन मिलल त ओकर कौनो थाहे-पता न चलल। मजूरी करके केहू तरह बेटा-बेटी के पाललन।

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जमीन के पट्टा मिलल रहे त कहलन कि बेटा-बेटी के पढ़ा के अफसर बनाएम। बाकि सब मजदूर बन के रह गइलन। बता दें कि खेदारू का बेटा फिरो गनौली में रहकर मिस्त्री का काम करता है। बेटी सलीमुन और जैबून की भी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है।

सीओ से कराएंगे जांच

यह मामला बहुत पुराना है। इसलिए इसकी सीओ से जांच कराई जाएगी। अगर वाकई इनाम में 20 एकड़ जमीन मिली होगी तो इसे परिजनों को दिलाने की पूरी कोशिश की जाएगी।
दीपक कुमार मिश्रा, एसडीएम, बगहा

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