अन्तर्राष्ट्रीय भरथरी गायिका सुरुज बाई खाण्डे ल मिलना चाही पद्मश्री
रायपुर (विक्रम प्रधान) 26 जनवरी के दिन पद्मश्री सम्मान ले हमर देश के महान विभूति मन ल सम्मानित करे जाथे,जेकर आवेदन गृहमंत्रालय के वेबसाइट म ऑनलाइन भरे जाथे . ये दरी छत्तीसगढ़ ले स्व.सुरुज बाई खाण्डे जी के नाँव के नामांकन करे गे हवय,छत्तीसगढ़ के बेटी अन्तर्राष्ट्रीय लोक गायिका सुरुज बाई खाण्डे जी हर अपन भरथरी गायन के संग देश विदेश म हमर छत्तीसगढ़ अउ भारतीय संस्कृति के मान बढ़ाईच ऊँकर अइसन विशिष्ट अउ अद्वितीय काम बर हम चाहथन के भारत सरकार उहंला पद्मश्री सम्मान ले सम्मानित करय अउ जेकर सिफ़ारिश छत्तीसगढ़ शासन बढ़ चढ़ के करय . आपमन नीचे पढ़ सकत हव सुरुज बाई के जीवन चरित,उपलब्धि,मान-सम्मान अउ भरथरी लोक गीत बर दे ऊँकर योगदान ल :-
जनम : 12 जून 1949
जनम स्थान : गाँव-पौंसरी, तहसील बिल्हा, जिला बिलासपुर,छ.ग.
महतारी : श्रीमती रेवती बाई
ददा : श्री घसिया घृतलहरे
गोसइया : लखनलाल खाण्डे
शिक्षा : अनपढ़
गायन शिक्षा : 7 बच्छर के उम्मर म अपन नाना रामसाय जी ले भरथरी के संगेसंग ढ़ोला-मारू, चंदैनी, आल्हा-उदल अउ सतनाम पंथी गाये ल सिखेव।
*मान-सम्मान :-*
01. भारत महोत्सव सोवियत संघ रूस सन् 1987-88 म सम्मानित् |
02. मध्यप्रदेश सरकार ले 2001 म देवी अहिल्या बाई सम्मान म सम्मानित् |
03. छत्तीसगढ़ सरकार ले 2006 म स्व.देवदास बंजारे सुरता सम्मान मिलिच |
04. दाऊ रामचंद्र देशमुख सम्मान -2006
05. बिसाहू दास महंत अउ कला साधना सम्मान -2010
06. भास्कर वुमन ऑफ द ईयर – 2010
07. चक्रधर समारोह रायगढ़ म सम्मानित्
08. एस.ई.सी.एल. कला पुरस्कार – 1995
09. टिस्को जमशेदपुर जिला पत्रकार संघ अउ राष्ट्रीय उद्योग व्यापार मेला 2010 म सम्मानित् |
*भरथरी बर योगदान :-*
01. छत्तीसगढ़ म भरथरी गवइया पहिली माईलोगिन |
02. 1987-88 भारत महोत्सव सोवियत संघ रूस के कार्यक्रम म भरथरी प्रस्तुति दे के छत्तीसगढ़ अउ भारत के संस्कृति के मान बढ़ईया |
03. सुरुज बाई खाण्डे भरथरी के प्रस्तुति वेदमती (बइठ के गवई) अउ कपालिक (खड़े हो के गवई) दोनो शैली म करय |
04. सम्राट विक्रमादित्य जेकर नाँव म भारत के पंचांग गणना *विक्रम संवत* चलथे तेकर बड़े भाई उज्जैन के राजा भरथरी(भर्तहरि) के जीवन गाथा ल गा के प्रचार करिच |
05. सुरमोहनी लोक कला मंच बनाके आपमन भरथरी गीत के संगेसंग ढ़ोला-मारू,आल्हा-उदल, चंदनी अउ सतनाम पंथी गीत के प्रचार करेव |
06. भरथरी लोकगीत ल जन-जन के अंतस म बसाय बर अपन जीव-परान न्यौछावर कर देव |
07. आपमन हबीब तनवीर,बंसी कौल अउ भाऊ खिरवरकर जइसन नाटककार के संग काम करेव | भरथरी ल लोक जीवन म प्रतिष्ठित करे बर मध्यप्रदेश के आदिवासी लोक कला परिषद् के संग मध्यप्रदेश,दिल्ली,मुम्बई,अहमदाबाद,राजस्थान,नागालैण्ड,कोलकाता,मद्रास,पाण्डिचेरी,इलाहाबाद,अउ जोधपुर जइसन शहर म कार्यक्रम देयेव |
सुरुज बाई ल छत्तीसगढ़ म करुण रस के देवी अउ राग रानी (Melody Queen) के नाँव म घलो जानथैं | भरथरी जइसन विधा ल खतम होय ले बचाय बर महत्वपूर्ण योगदान देव,जेमा अपन जीवन काल म ही भरथरी के महान विरासत ल प्रशिक्षण दे के बिलासपुर म लखन लाल खाण्डे, सोहारा बाई खाण्डे, भिलाई म लोक कलाकार कुमारी वंदना अउ भोपाल म लोक कलाकार द्वारिका प्रसाद ल सँउपेव |
पहिली के होय सड़क दुर्घटना के कारन सुरुज बाई कमजोर होवत चले जात रहिच अउ अचानक 10 मार्च 2018 के दिन हृदयाघात होय के कारण आपमन के फउत होगे,आज घलो आपमन हमर बीच म सगुन ले निरगुन होके उपस्थित हव |