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पैठू प्रथा : हल्दी रस्म से पहले ही दुल्हन ने दिया बच्चे को जन्म, खुशियां हुई दोगुनी

कोंडागांव/बांसकोट. हाथों मे मेहंदी सजी थी और विवाह की रस्म आदायगी के लिए हल्दी लेपन की तैयारी चल ही रही थी कि, इसी बीच दुल्हन बनी शिवबती के पेट में दर्द शुरू हुआ और परिजनों ने विवाह की रश्म रोककर पहले उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए, जहां उसने एक स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया।
मामला छत्तीसगढ़ के बस्तर की है, कोंडागांव जिले के बांसकोट के एक आदिवासी परिवार का है। दरअसल इलाके में आज भी आदिवासी समाज अपनी पूर्वर्जों से चली आ रही पंरपरा, सभ्यता और संस्कृति को सहेजकर उसे मानते हुए आ रही है, जिसमें पैठू प्रथा भी शामिल है। जिसमें विवाह योग्य युवती अपने पंसद के लड़के के घर जाकर रहने लगती है इसमें परिवार को भी किसी तरह का कोई ऐतराज नहीं होता। और दोनों परिवार के लोग एक निश्चित समय देखकर आपसी रजामंदी से विधि-विधान के साथ विवाह की रस्म आयोजित करते है।

पैठू प्रथा

ठीक ऐसा ही बासकोट के इस परिवार में भी हुआ जहां दुल्हन बनी ओडिसा निवासी शिवबती अपने पसंद के लड़के चंदन के यहां बांसकोट तकरीबन आठ माह पहले चली आई थी और दोनों साथ ही रह रहे थे। इसी बीच वह गर्भवती हो गई और परिवार वालों ने 30 व 31 जनवरी को विवाह करना तय किया, 30 जनवरी की सुबह जब हल्दी लेपन की रस्म के लिए परिवार व सगे-सबंधी एकत्रित हुए थे उसी दौरान उसने एक बच्चें को जन्म दिया। सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष बंगाराम सोढ़ी ने बताया कि, समाज में अब भी पैठू प्रथा का प्रचलन है।

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