@Vibhanshu Dwivedi इन दिनों तालिबान की खूब चर्चा हो रही है। अफगानिस्तान में जिस तरह से तालिबानियों ने आतंक मचाया है उससे लोगों में दहशत का माहौल है। अब तालिबानियों ने अफगानिस्तान की राजधानी पर भी कब्जा कर लिया है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया है साथ ही तालिबानियों के डर भारी संख्या में लोग भी देश छोड़ रहे हैं। दिनभर तालिबान और अफगानिस्तान की खबरें पढ़ते और सुनने के बाद आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि आखिर यह तालिबान है क्या? इसका मकसद क्या है? इसकी उत्पत्ति कहां से हुई… तो चलिए हम आपको इन सभी सवालों के जवाब देते हैं।
क्या है तालिबान?
आपको बता दें “तालिबान” एक पश्तो का शब्द है। पश्तो भाषा में छात्रों को तालिबान कहा जाता था खासकर कट्टरपंथी लड़ाके जो कमांडर और संस्थापक मुल्ला मोहम्मद उमर के इशारों पर चलते थे। अगर इसके उदय की बात करें तो, अफगानिस्तान पर सोवियत संघ का कब्जा हुआ करता था। साल 1980 की दहाई में जब सोवियत संघ ने अफगानिस्तान में फौज उतारी थी, तब अमेरिका ने ही स्थानीय मुजाहिदीनों को हथियार और ट्रेनिंग देकर जंग के लिए उकसाया था।
नतीजन, सोवियत संघ तो हार मानकर चला गया। सोवियत संघ की सेना ने वापस जाना शुरु कर दिया। एक समझौते के तहत लेकिन अफगानिस्तान में एक कट्टरपंथी आतंकी संगठन तालिबान का जन्म हो गया। पाकिस्तान हमेशा इस बात से इनकार करता रहा है कि तालिबान के बनने के पीछे वो जिम्मेदार है लेकिन यह बात भी उतनी ही सच है कि तालिबान के शुरुआती लड़ाकों ने पाकिस्तान के मदरसों में ही शिक्षा ली।
शुरुआत में अफगानिस्तान में तालिबान का समर्थन किया गया। यह माना गया कि तालिबान देश में व्याप्त भ्रष्टाचार और पटरी से उतर चुकी अर्थव्यवस्था को ठीक कर देंगे। लेकिन तालिबान ने धीरे धीरे हिंसक रुख अपनाना शुरू कर दिया। अपराध से लेकर हत्या तक के दोषियों को सरेआम मौत की सजा दी जाने लगी। महिलाओं पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए। पुरुषों को दाढ़ी रखना अनिवार्य किया गया। वहीं महिलाएं बिना सिर से पैर तक खुद को ढके बाहर नहीं निकल सकती थीं। लड़कियों के स्कूल जाने से मना कर दिया गया। साथ ही टीवी और संगीत पर रोक लगा दी गई।
तालिबान कैसे बन गया एक आतंकी संगठन
अफगानिस्तान तालिबान(Taliban) की आग में झुलस ही रहा था कि इसी बीच 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के बाद दुनिया भर का ध्यान तालिबान(Taliban) पर गया।हमले के मुख्य संदिग्ध ओसामा बिन लादेन और अल क़ायदा के लड़ाकों को शरण देने का आरोप तालिबान(Taliban) पर लगा। अमेरिका ने सात अक्टूबर, 2001 को अफ़ग़ानिस्तान पर हमला कर दिया और दिसंबर के पहले सप्ताह में तालिबान (Taliban) का शासन खत्म हो गया।
फिर नाम आता है उस देश का जो आतंकवादियों को पनाह देने में सबसे आगे है। वह नाम है पाकिस्तान, जिसका कट्टरता और आतंकवाद के बिना हर किस्सा अधूरा है। उसी ने तमाम तालिबानी (Talibani) नेताओं को अपने यहां पनाह दी करीब 20 साल बाद फिर अफगानिस्तान में इन तालिबानियों ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। अमेरिका ने भी एक समझौते के बाद अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है।
तालिबान का मकसद
तालिबानी(Talibani) अपनी इस हिंसा को जायज ठहरा रहे हैं और उनका कहना है कि सत्ता पाने के लिए ये हिंसा जायज है। अफगानिस्तान में तालिबान(Taliban) की जड़ें इतनी मजबूत हैं कि अमेरिका के नेतृत्व में कई देशों की फौज के उतरने के बाद भी इसका खात्मा नहीं किया जा सका। तालिबान(Taliban) के मकसद की बात करें तो उसका एक ही मकसद है कि अफगानिस्तान में इस्लामिक अमीरात की स्थापना करना है।
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