रायपुर। विधानसभा चुनाव से पहले घोषणा पत्र में छत्तीसगढ़ में पूर्ण शराबबंदी का वादा करने वाली कांग्रेस पार्टी अब शराब पर प्रतिबंध नहीं लगा पा रही है। शराबबंदी के सवाल पर कांग्रेस के नेता आए दिन नए तर्क देते हैं। अब प्रदेश के वाणिज्य, उद्योग और आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने शराबबंदी पर नई दलील दी है।
कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन पहुंचे मंत्री कवासी लखमा से शराबबंदी के वादे पर सवाल हुए। कवासी लखमा ने कहा, बस्तर-सरगुजा में आदिवासी हैं। वे पूजा-पाठ में शराब का उपयोग करते हैं। शराबबंदी का मामला आदिवासी क्षेत्र में कैसे करना है यह भी देखना होगा, इसलिए सरकार ने वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा की अध्यक्षता में एक समिति बनाई है।
इसमें विधायक दल के लोग भी हैं। सामाजिक संगठनों की भी बारी-बारी से मीटिंग हो रही है। उनसे जो सुझाव आएगा उसके आधार पर शराबबंदी होगी। नोटबंदी की तरह तुरंत नशाबंदी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ चार राज्यों से घिरा हुआ है। ये तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश हैं। आबकारी मंत्री ने कहा, यहां किसान, मजदूर कई तरह के लोग रहते हैं।
सरकार कोशिश कर रही है कि शराब बंद होने से किसको किस प्रकार का नुकसान होगा, उसका अनुमान लगा लिया जाए। इसको बस्तर में कैसे करना है, सरगुजा में कैसे करना है। उन्होंने कहा, पांचवीं अनुसूची वाले क्षेत्रों में पंचायत अनुमति देती है या नहीं इसको भी देखना होगा।
बता दें राज्य सरकार ने शराबबंदी लागू करने के तरीकों और प्रभावों का अध्ययन करने के लिए 2019 में दो समितियां बनाई थीं। पहली राजनीतिक समिति थी, जिसमें कांग्रेस विधायक सत्यनारायण शर्मा की अध्यक्षता में सभी दलों के विधायकों को शामिल किया जाना था। कई महीनों तक भाजपा ने किसी विधायक का नाम ही नहीं भेजा तो यह समिति काम शुरू नहीं कर पाई।
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