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महानदी छत्तीसगढ़ से निकली है, डैम की अनुमति मिलनी चाहिएः भूपेश बघेल

महानदी जल बंटवारे के मद्देनजर न्यायाधिकरण का दौरा आज

रायपुर। सीएम भूपेश बघेल ने कहा, सबसे पहली बात यह है कि इसे ट्रिब्यूनल में जाना ही नहीं था। महानदी छत्तीसगढ़ से निकली है और हमारा यह कोई बांध नहीं है। 7 बैराज बने हैं, इसी के कारण विवाद पैदा हुआ है। सरगुजा में जो बांध बनाना चाहते हैं, पैरी हाई डैम बनाना चाहते हैं,सबको रोके रखा है। हम लोगों को अनुमति मिलनी चाहिए।
यह बात आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्रकारों से बातचीत में कही। उल्लेखनीय है कि महानदी जल विवाद को लेकर तीन सदस्यीय न्याधिकरण की टीम आज छत्तीसगढ़ दौरे पर आ रही है।सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएन खानविलकर की अध्यक्षता में आ रहा दल महानदी जलविवाद की हकीकत जानेगा। विगत 40 वर्षों से छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच महानदी को लेकर विवाद चल रहा है। दोनों राज्यो के बीच चल रहे महानदी विवाद को लेकर सुप्रीमकोर्ट ने न्याधिकरण का गठन किया है। विवाद को लेकर राज्य सरकार मजबूती से अपना पक्ष रखेगी। विभागीय सूत्रों के अनुसार छत्तीसगढ़ के बैराज 220 मिलियन घनमीटर क्षमता के, हीराकुंड में इससे 40 गुना ज्यादा पानी, फिर भी ओडिशा का आरोप है कि हमारा पानी छीना जा रहा है। मुख्यमंत्री का तर्क है कि चूंकि महानदी हमारे यहाँ से निकलती है इसलिए उनके कुछ जल पर हमारा भी अधिकार है। इन बैराजों से नदी मार्ग के दोनों किनारों के जलस्तर बना रहता है।

हीराकुंड से बेतहाशा पानी ले रहा ओडिशा
छत्तीसगढ़ सरकार ट्रिब्यूनल के सामने तर्क रख चुकी है कि हीराकुंड बांध से ओडिशा सरकार औद्योगिक और सिंचाई प्रयोजन के लिए बहुत अधिक पानी ले रही है। बांध में पानी इसलिए कम होता है। छत्तीसगढ़ में बने बैराज छोटे और बहुत कम क्षमता के हैं। इनसे नदी सूखने का तर्क गलत है,छत्तीसगढ़ इसके लिए जिम्मेदार नहीं है।

छत्तीसगढ़ के बैराज रोक रहे पानी
ओडिशा की आपत्ति महानदी के ऊपर बने 7 बैराज पर है। उसने सेंट्रल वाटर कमीशन से आपत्ति करते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ बारिश के बाद के पानी को इन बैराज में रोक लेता है। इसलिए गर्मी के दिनों में महानदी ओडिशा में सूख जाती है। ओडिशा का आरोप है कि ये बैराज बिना अनुमति के बनाए गए हैं।

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