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महावीर जयंती: जैन धर्म का प्रमुख त्योहार महावीर जयंती आज, जानिए क्या थे महावीर स्वामी के पंच सिद्धांत

महावीर जयंती जैन धर्म का प्रमुख त्योहार है और यह महावीर स्वामी के जन्म उत्सव मनाने के लिए मनाया जाता है। इसी दिन जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म हुआ था। भगवान महावीर जैन धर्म के अंतिम आध्यात्मिक लीडर थे। महावीर स्वामी ने संसार से विरक्त होकर राज वैभव त्याग दिया और संन्यास धारण कर आत्मकल्याण के पथ पर निकल गए।
इस बार महावीर जयंती 25 अप्रैल को मनाई जा रही है। इस शुभ दिन पर जैन संप्रदाय भगवान महावीर की मूर्ति के साथ एक जुलूस निकालते हैं, साथ में धार्मिक गीत गाते हैं। जैन समाज द्वारा दिन भर अनेक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करके महावीर का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता हैं। हालांकि, इस बार कोरोना संक्रमण के कारण महावीर जयंती का उत्सव थोड़ा अलग दिखाई दे सकता है
महावीर स्वामी

12 साल की कठिन तपस्या के बाद ज्ञान प्राप्त हुआ

महावीर स्वामी का जन्म 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में बिहार में हुआ था। महावीर स्वामी के माता का नाम रानी त्रिशला और पिता का नाम राजा सिद्धार्थ था। 30 वर्ष की आयु में उन्होंने सबकुछ छोड़कर आध्यात्मिक मार्ग अपना लिया। कहते हैं कि 12 साल की कठिन तपस्या के बाद महावीर स्वामी को ज्ञान प्राप्त हुआ। दीक्षा लेने के बाद भगवान महावीर ने दिगंबर स्वीकार कर लिया। दिगंबर लोग आकाश को ही अपना वस्त्र मानते हैं इसलिए वस्त्र धारण नहीं करते हैं। 72 वर्ष की आयु में उन्हें पावापुरी से मोक्ष की प्राप्ति हुई।

महावीर स्वामी के पांच सिद्धांत

1- अहिंसा– महावीर स्वामी ने अहिंसा को सबसे उच्चतम नैतिक गुण बताया।
2- सत्य – वो सत्य कहने और सच्चा होने में विश्वास करते थे।
3- अस्तेय – उनका मानना ​​था कि लोगों को चोरी नहीं करनी चाहिए।
4- ब्रह्मचर्य – वो कामुक सुखों में लिप्त नहीं होते थे।
5- अपरिग्रह – उनका मानना ​​था कि लोगों को गैर-भौतिक चीजों से नहीं जुड़ना चाहिए।
उन्होंने मानव को मानव के प्रति प्रेम और मित्रता से रहने का संदेश नहीं दिया अपितु मिट्टी, पानी, अग्नि, वायु, वनस्पति से लेकर कीड़े-मकौड़े, पशु-पक्षी आदि के प्रति भी मित्रता और अहिंसक विचार के साथ रहने का उपदेश दिया है।

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