रायपुर . स्वास्थ्य विभाग ने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर चुके डॉक्टर, जिन्होंने शासकीय ग्रामीण सेवा के अनुबंध के तहत अब तक जॉइनिंग नहीं दी है उन्हें अल्टीमेटम जारी कर दिया है।
विभाग द्वारा 28 मई 2020 और 5 फरवरी 2021 को 2 अलग- अलग आदेश जारी कर डॉक्टरों को 2 वर्ष की संविदा सेवा पर पदस्थ किया गया था। इस दौरान 54 डॉक्टरों ने जॉइनिंग नहीं दी। जिस पर विभाग ने इन्हें 5 दिनों के अंदर जॉइनिंग के आदेश दिए हैं। ऐसा न करने पर बॉंड की राशि वसूली जाएगी, साथ ही विश्वविद्यालय से अंतिम डिग्री नहीं दिए जाने की चेतावनी दी है। राज्य मेडिकल काउंसिल में पंजीयन भी नहीं हो सकेगा। राज्य मेडिकल बोर्ड में पंजीयन रद्द करने की कार्रवाई भी रद्द की जाएगी।
तीन साल पहले भी यही स्थिति
तीन साल पहले भी एमबीबीएस करने के बाद दो साल की ग्रामीण सेवा का बांड भरने के बावजूद 90 फीसदी डॉक्टर वहां नहीं जा रहे थे । इतना ही नहीं ये डॉक्टर न जाने पर तय की गई 5 लाख रुपए की पेनाल्टी भी नहीं दे रहे थे । ऐसे में एमबीबीएस पासआउट डॉक्टरों के पंजीयन रद्द करने की तैयारी की गई । रायपुर, बिलासपुर व जगदलपुर मेडिकल कॉलेज के 95 डॉक्टरों को ग्रामीण सेवा में जाना था, लेकिन वे नहीं गए। इनमें से 10 से 15 डॉक्टरों ने पेनाल्टी जमा कर दी है, लेकिन बाकी स्वास्थ्य विभाग की काउंसिलिंग में भी शामिल नहीं हुए। ऐसे डॉक्टरों को छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल से रजिस्ट्रेशन रद्द करने की बात की गयी थी।
4 साल पहले बढ़ाई गई पेनाल्टी राशि
– राज्य सरकार ने एमबीबीएस पास करने के बाद दो साल की ग्रामीण सेवा में नहीं जाने वाले डॉक्टरों की पेनाल्टी राशि 4 साल पहले ही बढ़ाई । पहले केवल 40 से 70 हजार रूपये थे। जिस अब सामान्य वर्ग के डॉक्टरों को पांच लाख व आरक्षित वर्ग के डॉक्टरों को तीन लाख रुपए जमा करना होगा।
– यही नहीं उन्हें इंटर्नशिप व एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान मिली स्टायपेंड की राशि भी जमी करानी होगी। पेनाल्टी व स्टायपेंड मिलाकर सामान्य वर्ग के डॉक्टरों को छह लाख व आरक्षित वर्ग के डॉक्टरों को चार से साढ़े चार लाख रुपए जमा करना तय है।
– यह राशि जमा करने के बाद ही मेडिकल कॉलेज से एनओसी जारी होगी। यही नहीं इसी आधार पर आयुष विवि से एमबीबीएस की डिग्री भी मिलेगी। डिग्री के बाद ही छग मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन करा पाएंगे।
Back to top button