छत्तीसगढ़

बुरे वक्त को अच्छे वक्त में बदलने का कार्य करता है मीडिया : प्रो. बल्देव भाई शर्मा

रायपुर| हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर रविवार को पब्लिक रिलेशन्स सोसाइटी आफ इंडिया रायपुर चैप्टर ने कोविड-19 जनसंपर्क एवं मीडिया के समक्ष चुनौतियां और समाधान विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बल्देव भाई शर्मा ने कहा कि बुरे वक्त को अच्छे वक्त में बदलने का कार्य केवल मीडिया ही कर सकता है।
जनसंपर्क और मीडिया की भूमिका पर अपने विचार रखते हुए कहा कि दोनों एक दूसरे के पूरक के रुप में कार्य करते है। व्यवस्था और आमजन के बीच सेतू का कार्य दोनों पर निर्भर रहता है । उन्होंने कहा कि बाजार की शक्ति से जनसंपर्क और मीडिया को बचाने की कोशिश करनी चाहिए, नहीं तो यह अपना मूल उद्देश्य छोड़ सकता है। हमें ऐसे सत्य को खोजना है जो लोक हितकारी हो। समाचार पत्र पर बात रखते हुए कहा कि समाचार पत्रों को आमजन की भाषा कहा जाता है जिसको वह अपनी मुख्य भूमिका मानते है।
हर पत्रकार को पत्रकारिता इतिहास जरूर पढ़ना चाहिए ताकि पत्रकारों में आदर्श पत्रकारिता की स्थापना हो सके। साथ ही हम सबको अपनी जड़ों की ओर लौटने की भी आवश्यकता है ताकि पत्रकारिता अपने मुख्य उद्देश्य जनकल्याण से लोगों को जोड़ सके।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पब्लिक रिलेशन्स सोसाइटी आफ इंडिया के नेशनल प्रेसिडेंट डॉ.अजीत पाठक ने कहा कि मीडिया और जनसंपर्क एक ही गाड़ी के दो पहिये है जिसका कार्य सूचनाओं को आमजन तक पहुँचाना है।
जनसंपर्क पत्रकारिता को बेहतर करने में सहयोग प्रदान करता है। इस महामारी के दौर में सोशल मीडिया के महत्व पर भी बात रखी जिसमें सूचना का विश्लेषण होना अब शुरू हो गया है और जनसंपर्क ने अपने माध्यम में ऑनलाइन के नये चलन की शुरूआत की है।इस अवसर पर मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार व दैनिक भास्कर,नागपुर के समूह संपादक प्रकाश दूबे ने मीडिया और जनसंपर्क के मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखी जिसमें मीडिया के अवमूल्यन पर अपनी चिंता रखी। वहीं जनसंपर्क क्षेत्र को परिभाषित करते हुए कहा कि यह वह क्षेत्र है जहां कहा भी नहीं जाए और सहा भी न जाए वाली बात सामने आती है।
उन्होंने कहा कि आज अनैतिक प्रचार रणनीति ने मानवता का बड़ा नुक़सान किया है। लोकतंत्र में असहमति का स्थान भी खत्म हो गया है जबकि असहमति के रास्ते ही कोई सरकार बनती है। कोविड के संकट में लाकडाउन के समक्ष एक वर्ष पहले रोटी के साथ पटरियों के रास्ते चल रहे मजदूरों की रेल से कटकर मौत के मामले में मीडिया और सरकार के मौन पर दुःख प्रकट किया। प्रकाश दूबे ने कहा कि हमें अपने मौन को तोड़ना होगा। मीडिया और जनसंपर्क की यह सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा किआर्थिक अभावों में उदंत मार्तंड एक साल बाद बंद हों गया लेकिन उस दौर के पत्रकारिता के आदर्शों से हमें सीखने की जरूरत है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रेस काउंसिल आफ इंडिया के सदस्य तथा दैनिक विश्व परिवार के संपादक  प्रदीप जैन ने कहा कि इस कोविड 19 ने पत्रकारिता के सामने कई चुनौतियों को रखा है जिसमें सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इस भयानक महामारी में सही सूचना को लोगों तक कैसे प्रेषित की जाए। मीडिया को आर्थिक स्थिति के लिए भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ संस्थाओं ने इन आर्थिक चुनौती के समय भी अपने संस्था के लोगों के लिए कार्य किया है जिसकी हमें सराहना करने की आवश्यकता है।
एम्स रायपुर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, शिव शंकर शर्मा ने कहा कि इस महामारी ने पत्रकारों और जनसंपर्क क्षेत्र के लिए बहुत सी चुनौती दी है। पर इन सबका समाधान सोशल मीडिया ने दिया है। जिसके लिए उन्होंने एम्स रायपुर की एक केस स्टडी का उदाहरण दिया जिसमें टि्वटर द्वारा सभी मीडिया को सूचना का प्रसारण बहुत ही सटीक तरीके से किया गया और आमजन की समस्या का समाधान दिया गया। छत्तीसगढ़ शासन के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी आलोक दुबे ने जनसंपर्क की चुनौतियों पर अपनी बात रखी।
वेबिनार में पीआरएसआई, रायपुर चैप्टर की ओर से 11,000/- कोविड हेल्प के लिए छत्तीसगढ़ सरकार को, 11,000/- प्रयास, सामाजिक संगठन को, 2100/- केटीयू के भूतपूर्व छात्र चंद्रेश चौधरी, जनसंपर्क के क्षेत्र में एम्स रायपुर के शिवशंकर शर्मा और गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अनुपमा कुमारी को जनसंपर्क के क्षेत्र में प्रशस्ति पत्र के साथ पुरस्कृत करने की घोषणा की ।कार्यक्रम का सफल संचालन पीआरएसआई, रायपुर चैप्टर के चेयरमैन डॉ. शाहिद अली ने किया ।
अंत में पीआरएसआई, रायपुर चैप्टर के सचिव संजीव शर्मा ने कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी अतिथि वक्ताओं तथा सहभागियों का आभार व्यक्त किया। आयोजन में काफी संख्या में पत्रकारों, जनसंपर्क अधिकारियों, रिपोर्टर, फोटोग्राफर एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडियाकर्मियों, संचारविदों, विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं मीडिया शिक्षकों ने हिस्सा लिया।

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