रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के चौक-चौराहों में आपको कई ऐसे लोग मिल जाएंगे जो भीख मांग रहे होते हैं। लेकिन उनकाे भीख मांगते देख आप उसे बिल्कुल भी हिकारत की नजर से मत देखिएगा। क्योंकि फटे, मैले-कुचेलै कपड़े में भीख मांगने से उसकी आप औकात का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं।
आज हम आपको एक ऐसी ही भिखारी के बारे में बताने जा रहे हैं। इस भिखारी का एक बेटा विदेश में काम करता है, वहीं, दूसरा बेटा किराना दुकान चलाता है। केवल यही नहीं भिखारी ने खुद के घर को भी किराए पर दे रखा है।
यह सिर्फ बेनवती की ही बात नहीं है, अपितु राजधानी में अनेक ऐसे भिखारी हैं, जिनकी माली हालत अच्छी है लेकिन इसके बावजूद भी वे इस पेशे को अच्छी आमदनी की वजह से नहीं छोड़ रहे हैं। इसका खुलासा समाज कल्याण विभाग के भिखारियों के रेक्स्यू कार्यक्रम के दौरान हुआ, जब भिखारियों को पकड़कर उनसे पूछताछ की गई।
जब बेनवती पकड़ी गई तो उसने विभागीय टीम को जो जानकारी दी, उसे जानकार आप भी दंग रह जाएंगे। अच्छी माली हालत के बावजूद भीख मांगने पर बेनवती ने बताया कि उसे बीमारी है, जिसकी वजह से वह मंदिर-मस्जिद का चक्कर लगाते रहती है।
आगे उसने बताया कि उसने अपना मकान किराए पर दे रखा है, जिससे प्रति महीने 5-6 हजार रुपए किराए के तौर पर मिल जाता है। उसके बैंक अकाउंट में भी उसने 60 हजार रुपए जमा कर रखे हैं।
भिक्षुक पुनर्वास केंद्र की संचालक ममता शर्मा ने बताया कि काफी भिखारी ऐसे मिल रहे हैं जो संपन्न परिवार से हैं। ये भिखारी रायपुर के चौक-चौराहों में भीख मांगकर रोजाना हजारों रुपए कमाते हैं। वहीं, कुछ संगति में भी भीख मांगने के लिए निकल जाते हैं। इनका काफी बड़ा ग्रुप है।
आगे उन्होंने बताया कि जब समाज कल्याण विभाग द्वारा भिखारियों को रेस्क्यू कर इन्हें पुनर्वास केंद्र लाया जाता है, तो लगभग 85 प्रतिशत भिखारी भीख मांगने से इंकार कर देते हैं, जिससे उन्हें जल्द ही छोड़ दे।
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