6 दिन की देरी से छत्तीसगढ़ पहुंचा मानसून, विशेषज्ञों ने बताया क्या होगा इसका असर
रायपुर। बारिश की राह देख रहे लोगों के लिए अच्छी खबरी है। छत्तीसगढ़ में मानसून की एंट्री हो गई है। 16 जून को दक्षिण पश्चिमी मानसून ने बस्तर के आसपास के क्षेत्रों में प्रवेश कर लिया है। हालांकि इस बाद मानसून लगभग एक सप्ताह की देरी से पहुंचा है। मानसून की देरी का असर सीधे खरीफ की फसलों पर दिखता है। MONSOON
बता दें छत्तीसगढ़ में इस बार मानसून की एंट्री पिछले वर्ष की तूलना में 6 दिन की देरी से हुई है। पिछले साल 10 जून को ही मानसून की एंट्री हो गई थी। इस बाद यह 16 जून को बस्तर पहुंचा। कृषि विशेषज्ञों ने मानसून के देर से आने से होने वाले असर को लेकर कहना है कि किसानों के लिए समय पर मानसूनी बारिश होना खरीफ की फसलों के लिए फायदेमंद होता है। इसी के अनुसार किसान तैयारी करते हैं। खरीफ की फसलों के लिए एक बड़ा हिस्सा मानसून के भरोसे रहता है।
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तापमान में भारी कमी
मानसून की दस्तक के साथ ही प्रदेश के तापमान में भारी कमी दर्ज की गई है। गुरुवार को प्रदेश का अधिकतम तापमान 36 डिग्री रहा जो कि राजधानी रायपुर में दर्ज किया गया। शेष जिलों में भी तापमान 35 डिग्री से कम रहा। दक्षिणी पश्चिमी मानसून के कारण प्रदेश के दक्षिणी क्षेत्र बंस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकुमा, नारायणपुर आदि क्षेत्रों में आने वाले 24 घंटों में भारी बारिश की संभावना जताई गई है।
मानसून से बदली बस्तर की तस्वीर
मानसून की एंट्री के साथ ही बस्तर की तस्वीर बदल गई है। गुरुवार सुबह से यहां का मौसम खुशनुमा बना हुआ है। इसका असर आसपास के जिलो में भी दिखा और हल्की बारिश भी हुई। मानसून की एंट्री का असर दुर्ग जिले में भी नजर आया। यहां भी बीते दो दिनों से रह रहकर बादल को घेरा आ जाता है। बुधवार शाम को दुर्ग जिले के कई हिस्सों में बारिश हुई।
मौसम केन्द्र रायपुर से मिली जानकारी के अनुसार दक्षिण-पश्चिम मॉनसून उत्तर अरब सागर, गुजरात, मध्य महाराष्ट्र, दक्षिण मध्य प्रदेश के साथ छत्तीसगढ़ बस्तर सहित आसपास के 12 जिलों में अपना असर दिखा सकता है। 16 जून को मानसून की एंट्री हुई है और आने वाले तीन से चार दिनों में इसके राजधानी रायपुर, बिलासपुर व सरगुजा संभाग में दस्तक देने की संभावना है।