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किसानों के लिए वरदान बना पपीता, 1200 रुपए से पौने दो लाख तक पहुंची कमाई
झारखण्ड| कच्चे पपीता को सब्जी के रूप में और पके पपीता को फल के रूप में इस्तेमाल करने की हमारी पुरानी परंपरा रही है वहीँ अब पपीता एक बड़े समूह के लिए आय का अच्छा जरिया बन गया है| पपीता के जरिए झारखंड में जनजातीय समूहों के लोगों की जिंदगी में बड़े स्तर पर बदलाव आ रहा है|
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कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विज्ञान केंद्र मिलकर इसे आय का स्रोत बनाने पर काम कर रहे हैं वहीँ अभी छोटे स्तर पर ही इसकी व्यावसायिक खेती हो रही है, लेकिन आने वाले समय में इसे बड़े पैमाने पर करने की तैयारी की जा रही है|
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झारखंड के जनजातीय समूह के लोगों के घर के पीछे पपीते का दो-चार पेड़ वर्षों से लगता रहा है| वे इससे फल और सब्जी के रूप में इस्तेमाल करते हैं हालांकि अभी तक इसकी खेती पारंपरिक तरीके से ही हो रही है| अब वैज्ञानिकों की इस पर नजर गई है और वे किसानों को नई विधि से खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं|
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