नई दिल्ली। संसद और सभी राज्य विधानसभाओं की कार्यवाही को एक ही डिजिटल प्लेटफार्म पर उपलब्ध कराया जाएगा। सदनों के कार्यवाही का प्रसारण मोबाइल ऐप पर किया जाएगा जहां आम जन किसी भी समय लाइव टेलीकास्ट को देख पाएंगे। राज्य विधानसभाओं के कार्य और कंटेंट को भी इस ऐप पर उपलब्ध कराया जाएगा।
असम लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष हितेंद्र गोस्वामी की अध्यक्षता में ई-विधान सभ्यति को देहरादून पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के दौरान इस विषय में रिपोर्ट पेश करने को कहा गया था। रिपोर्ट सौंप दिया गया। 15 अगस्त के बाद सम्मेलन में इस रिपोर्ट को स्वीकृति दी जाएगी।
संसद लाइब्रेरी में 1854 से लेकर अब तक के सारे कागजात उपलब्ध हैं। इस साल के अंत तक 167 सालों के वाद विवादों को सुसज्जित कर दिया जाएगा।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला का कहना यह है कि संसद से जुड़ी ज्यादा से ज्यादा जानकारी पुराने कागजात व लाइव टेलीकास्ट के माध्यम से आम नागरिक तक पहुंचाया जाएगा।
इन सब के पीछे का मकसद यही है कि आम जनता संसद और विधानसभाओं के विधायी आयामों को आसानी से देख व समझ सके।
डिजिटल विधायिका के चार चरण
पहले चरण में लोकसभा के लॉबी पर 1954 में टेलीप्रिंटर को स्थापित किया गया था जिसके माध्यम से देश की बड़ी खबरे और जानकारियां संसद तक पहुंच सके।
दूसरे चरण में 1980 के दशक में संसद लाइब्रेरी में कंप्यूटर स्थापित किया गया संसदीय कार्यों को सुचारू बनाने के लिए।
संसद के मामले संसद के सदस्यों तक ही सीमित थे। तीसरे चरण में ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन के माध्यम से लोग भी संसदीय कामकाज से परिचित होने लगे।
चौथा चरण ई-पार्लियामेंट का है। इसके माध्यम से जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के कार्य व विचारधारा जनता के हाथों मौजूद होगी। यह कहा जा सकता है कि इससे ई-डेमोक्रेसी को बढ़ावा मिलेगा।
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