राजिम। छत्तीसगढ़ के राजिम में जल्द ही पुन्नी मेला का आगाज़ होने वाला है। फॉरेस्ट नाका के पास लगा हुआ स्वागत द्वार राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 130 सी की शोभा बढ़ा रहे हैं।
परंतु वर्तमान में इनकी रखरखाव नहीं होने से दुर्दशा इस कदर बिगड़ी हुई है कि लोगों की नजर ऊपर स्वागत गेट में चला जाए तो उसी से ही इस नगरी के विकास उनको समझ जाएगा। राजिम पुन्नी मेला की भव्यता पर यह टूटा स्वागत द्वार पलीता लगाता नजर आएगा।
राजधानी रायपुर से नवापारा होते हुए सीधे राजिम पुल पार करते हैं और उखड़ी हुई प्लेट वाले स्वागत गेट का दर्शन होता है। प्रदेश के प्रसिद्ध राजिम माघी पुन्नी मेला 16 फरवरी दिन बुधवार से लगेगा। जिसमें देशभर से लोग बड़ी संख्या में आकर पर्व स्नान करेंगे। विदेशी भी यहां पहुंचेंगे और मंदिरों में उत्कीर्ण कलाकारी को देखेंगे। उखड़े हुए स्वागत द्वार ही से वे प्रवेश करेंगे।
पिछले तीन सालों से धीरे-धीरे करके इस द्वार के गेट एक एक कर उखड़ते गए। लेकिन विभागीय अधिकारियों को इनकी चिंता नहीं रही। उन्होंने मोटी रकम लगाकर गेट तो खड़ा कर दिए, किंतुु उचित देखरेख नहीं होने से धीरे धीरे कर प्लेट गिरते गए। वर्तमान में लोहे का एंगल बस बचा हुआ है। नतीजा कब इसकी सुंदरता निखरेगी कहना मुश्किल हो गया है।
इस संबंध में कई बार संबंधित विभाग का ध्यानाकर्षण कराया गया है। किंतु नतीजा सिफर रहा। यहां से जिला मुख्यालय गरियाबंद की दूरी मात्र 44 किलोमीटर है। इसी मार्ग से होकर तमाम प्रदेश के जनप्रतिनिधियों से लेकर आला अफसर गुजरते हैं लेकिन इनकी दुर्दशा पर अभी तक किसी ने चिंता नहीं किया है। इस दौरान जिलाधीश भी लगातार बदलते रहे। सबसे बड़ी बात राजिम माघी पुन्नी मेला मात्र कुछ ही दिन बचा हुआ है, ऐसे में इनको सुधारने वाला भी कोई नहीं दिख रहा है।
इसी तरह से ही बस स्टैंड के पास राजीवलोचन मार्ग पर बने स्वागत द्वार, पीतईबंद रोड का स्वागत द्वार, फिंगेश्वर रोड का स्वागत द्वार, गरियाबाद रोड पर साईं मंदिर के पास बने स्वागत द्वार, चौबेबांधा मार्ग का स्वागत द्वार लगभग सभी द्वार की स्थिति दयनीय है। कहीं आधा प्लेट उखड़ा हुआ है तो कहीं पर पूरी प्लेट ही उखाड़ कर खराब हो चुका है। इस गेट के ऊपर में पहुंच मार्ग की जानकारी भी लिखी हुई थी वह भी नहीं है। नतीजा लोगों को अब एक दूसरे से पूछ कर आगे गंतव्य की ओर आगे बढऩा पड़ता है।
बता देना जरूरी है कि राजिम विधानसभा मुख्यालय है। अनुविभागीय अधिकारी के अलावा तहसीलदार यहीं बैठते हैं। जिले के तमाम अधिकारी कर्मचारी इसी मार्ग से होकर राजधानी रायपुर पहुंचते हैं। विधानसभा के विधायक सत्ता पक्ष से हैं फिर भी यह दुर्दशा समझ से परे हैं। मेला में आने वाले श्रद्धालु इस द्वार को देखकर क्या प्रतिक्रिया होगी?
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