रक्षाबंधन को भाई-बहन के प्रेम का त्योहार माना जाता है। इस भार रक्षाबंधन आगामी 22 अगस्त को मनाई जाएगी। इस बार राखी के पर्व पर दो विशेष संयोग बन रहे हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक, श्रावण मास की पूर्णिमा में यह पर्व मनाया जाता है। इस त्योहार में सभी बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनसे रक्षा का वचन लेती हैं। फिर उनकी आरती उतार कर, तिलक लगाती हैं और भाईयों के सुख-समृद्धि और लंबी आयु की कामना करती हैं। राखी बंधवाने के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार भी देते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित अजित मिश्रा के मुताबिक, पौराणिक कथाओं में रक्षाबंधन के महत्व को अलग-अलग कहानियों के माध्यम से बताया गया है। इस साल के रक्षाबंधन पर दो बहुत ही विशेष मुहूर्त के योग बन रहे हैं। इस रक्षाबंधन पर धनिष्ठा नक्षत्र के साथ शोभन योग का शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, ये संयोग बहुत ही उत्तम होते हैं। रक्षाबंधन, इस संयोग में भाई और बहन दोनों के लिए लाभकारी और शुभ फलदायी होगा।
ज्योतिषाचार्य पं अजित मिश्रा ने बताया कि हिंदू बनारस पंचांग के मुताबिक, सावन मास की पूर्णिमा तिथि 21 अगस्त दिन शनिवार को शाम 7 बजे से शुरू हो रही हैं। वहीं इसकी समाप्ति आगामी 22 अगस्त दिन रविवार को शाम 05 बजकर 31 मिनट पर हो जाएगा।
शास्त्र के मुताबिक, कई सालों बाद ऐसा संयोग आया है अर्थात् राखी के दिन भद्रा नक्षत्र नहीं है। कहते हैं कि भद्रा में किसी भी बहन को अपने भाई को राखी नहीं बांधनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि रावण को उसकी बहन ने भद्रा नक्षत्र में राखी बांधी थी। इस वजह से उसका अनिष्ट हो गया। पंचांग के मुताबिक, इस रक्षाबंधन के पर्व पर सुबह 06.15 बजे से लेकर 10.34 बजे तक शोभन योग रहेगा। शाम 07.40 मिनट तक धनिष्ठा योग रहेगा।
बहने अपने भाइयों को इस रक्षाबंधन पर 06.15 मिनट से शाम 7.40 के मध्य बहनें कभी भी राखी बांध सकती हैं। शास्त्रों की मानें तो हर बहन को अपने भाई की कलाई पर राखी बांधते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।