Retired Army man Harbhajan Singh:
भिलाई। हम सब नौकरी करके खूब मेहनत करते है,ताकि रिटायरमेंट के बाद हम सब अपना समय और अपनी ज़िन्दगी का कुछ आखिरी लम्हा अपने परिवार के साथ बिताएंगे, लेकिन हमारे भिलाई के रिटायर्ड आर्मी मैन हरभजन सिंह (Retired Army man Harbhajan Singh) हम सब से थोड़े अलग हैं। वो ऐसे शख़्स हैं जिन्होंने अपनी ज़िन्दगी के इतने साल देश की सेवा में लगा दिए और अब रिटायरमेंट के बाद युवाओं को पुलिस और आर्मी में जाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं वह भी फ्री। ताकि ज्यादा से ज्यादा युवा वहां सिलेक्ट हों सकें, इसके लिए वे भिलाई में एक एकेडमी चला रहे हैं।
Sec-2 के ग्राउंड में करीब साढ़े 3 दी जा रही है ट्रेनिंग
सेक्टर-२ में स्थित भिलाई विद्यालय के ग्राउंड में पिछले साढ़े 3 साल से संचालित इस एकेडमी में अब तक 140 बच्चों को ट्रेंड किया जा रहा है। इसमें 40 लड़कियां और 100 के करीब लड़के शामिल हैं। इन युवाओं को एकेडमी में सेना से लेकर पुलिस,फारेस्ट व इससे जुड़ी अन्य फोर्सेज में भर्ती की तैयारी कराई जाती है और अब तक एकेडमी के करीब 35 बच्चे सेना में जा चुके हैं और कुछ का सिलेक्शन भी हो गया है, वह भी जल्द ट्रेनिंग में जाएंगे।
साथ में करते है प्रैक्टिस
एकेडमी में फॉरेस्ट गार्ड की तैयारी करने वाली प्रियंका कुशवाहा का कहना है कि वह काफी गरीब घर से थीं साथ ही एकेडमी में जाना उनके लिए केवल एक सपना जैसा था, लेकिन हरभजन सिंह की निशुल्क एकेडमी के चलते उनका यह सपना पूरा हो पाया साथ ही उन्हें बेस्ट ट्रेनिंग भी यहाँ दी जा रही है।
एकेडमी में प्रैक्टिस कर रहे कुमार स्वामी ने भी बताया कि वह आर्मी में जाना चाहता है। इसके लिए वह पहले अलग से अपनी तैयारी करता था,एकेडमी में आने से पहले उसकी रनिंग काफी वीक थी जिससे वह कई बार रिजेक्ट हुआ, दो साल पहले मेरे दोस्त ने मुझे हरभजन सिंह एकेडमी के बारे में बताया। फिर मैंने यहां अपनी प्रैक्टिस शुरू की और आज मेरी रनिंग काफी अच्छी हो गई है साथ ही आर्मी में सिलेक्शन भी हो चुका है। जल्द ही वह ट्रेनिंग के लिए जाएंगे।
बच्चों को स्विमिंग भी सिखाते
हरभजन सिंह ने बतया की वे ट्रेनिंग के दौरान बच्चों को स्विमिंग भी सिखाते हैं, साथ ही यह भी बताया कि उनके एकेडमी के केवल दो बच्चों को ही स्विमिंग आती थी और आज उनके सभी बच्चे अच्छे तैराक हैं। हरभजन सिंह ने बताया कि वो बच्चों को प्रैक्टिस के लिए हर सप्ताह दुर्ग में शिवनाथ नदी घाट पर ले जाते हैं। जहां सभी बच्चे तैरकर नदी को पार करते हैं।
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