The company gave an ultimatum to the power contract employees:
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पिछले 10 मार्च से बिजली कंपनी के संविदा कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं। अब आज प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों को पुलिस ने जबरदस्ती सड़क से हटा दिया है। राज्य विद्युत वितरण कंपनी ने भी ऐसे संविदा कर्मचारियों को हड़ताल खत्म कर काम पर लौटने को कहा है।
इस संबंध में पावर कंपनी प्रबंधन ने शनिवार को एक नोटिस जारी किया और कहा कि संविदा कर्मचारियों की पांच में से तीन मांगों को मान लिया गया है।
कंपनी ने इस नोटिस में बताया कि 21 अप्रैल को आंदोलनकारियों के प्रतिनिधियों से चर्चा हुई थी। इसमें बताया गया था कि उनकी कुल पांच मांगों में से तीन मांगे पहले ही पूरी की जा चुकी हैं। इसमें वेतन बढ़ाना, कार्य के दौरान दुर्घटना में उपचार व्यय की प्रतिपूर्ति, मृत्यु के स्थिति में मुआवजा सम्बन्धी मांग शामिल है। इसके क्रियान्वयन के लिए आदेश भी जारी किया गया है।
जारी किए गए नोटिस में कहा गया है कि संविदा कर्मचारियों को इस विषय में सूचना देकर काम पर लौटने को कहा गया था। लेकिन इसके बाद भी वे हड़ताल पर रहे। लगभग 2300 संविदा कर्मचारियों की गैर हाजिरी के कारण अस्थायी कर्मियों की नियुक्ति करनी पड़ रही है ताकि मैदानी क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति सामान्य बनी रहे।
कंपनी ने संविदा कर्मचारियों पर श्रम न्यायालय के निर्णय की अवहेलना का आरोप लगाया है। कंपनी प्रबंधन की ओर से कहा गया कि संविदा कर्मचारियों के आवेदन पर श्रम न्यायालय ने मांगों का परीक्षण किया गया था। फिर बाद में न्यायालय ने हड़ताल को स्थगित कर दिया और कार्य में लौटने के लिए आदेश जारी किया गया। संविदा कर्मचारियों ने उस आदेश का पालन नहीं किया और अपनी हड़ताल लगातार जारी रखी।