देश में कोरोना संक्रमण के तीसरी लहर की चर्चा जोरों पर है। कई रिपोर्टस में यह दावा किया जा रहा है कि अक्टुबर में संभावित तीसरी लहर अपने पीक पर हो सकती है। विगत कुछ दिनों से कोरोना के दैनिक मामलों में उतार-चढ़ाव अभी जारी है। अब इन सभी नकारात्मक खबरों के बीच एक अच्छी खबर यह है कि देश के वैक्सीनेशन शस्त्रागार में इस महीने एक और अस्त्र शामिल होने वाला है।
जानकारी के अनुसार, अहमदाबाद स्थित फार्मास्युटिकल प्रमुख कंपनी जायडस कैडिला द्वारा विकसित किए गए वैक्सीन जायकोब-डी के इसी महीने के अंत तक आम लोगों के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हो जाने की संभावना जतायी जा रही है।बता दें कि अगस्त में इस वैक्सीन को भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (डीसीजीआई) से आपातकालीन उपयोग की मंजूरी भी मिल चुकी है।
भारत में अब तक दो स्वदेशी वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन का उपयोग किया जा रहा है। अब यह देश की तीसरी स्वदेशी वैक्सीन होगी। इस वैक्सीन को कई मामलों में बहुत ही खास बताया जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि जिस तरह से कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के लिए खतरा अधिक बताया जा रहा है, ऐसे में यह वैक्सीन भारत की सबसे बड़ी चिंता को दूर कर सकती है। आपको बता दें कि जायकोब-डी वैक्सीन को 12-18 साल तक के बच्चों में भी बहुत ही कारगर माना जा रहा है। तो आइए, जानते हैं कि यह वैक्सीन और किस लिहाज से भारत के लिए कारगर साबित हो सकती है?
बच्चों के टीकाकरण की चिंता होगी दूर
बहुत से रिपोर्टस में कोरोना की तीसरी लहर को बच्चों के लिए बहुत ही खतरनाक बताया जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि चूंकि 18 साल से कम उम्र के बच्चों को अब तक वैक्सीन नहीं लग पाई है, ऐसे में इस आयुवर्ग के लोगों के लिए संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा हो सकता है। जायकोब-डी वैक्सीन, इस समस्या को दूर करने में बहुत उपयोगी माना जा रहा है। कंपनी की ओर से यह भी दावा किया जा रहा है कि ट्रायल के समय इस वैक्सीन की प्रभाविकता 66.6 फीसदी से अधिक पाई गई, यहां तक कि बच्चों में भी इसके अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं।
है कोरोना के सबसे घातक वैरिएंट्स के खिलाफ काफी असरदार
दुनियाभर में जिस तरह से कोरोना के डेल्टा वैरिएंट का कहर जारी है, इस दिशा में जायकोब-डी वैक्सीन को बहुत असरदार माना जा रहा है। वैक्सीन की निर्माता कंपनी जायडस कैडिला ने यह दावा किया है कि यह वैक्सीन कोरोना के कई नए वैरिएंट्स से सुरक्षा देने का काम कर सकती है। वहीं, कंपनी ने वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल में 28,000 से अधिक लोगों पर अध्ययन किया और इस आधार पर कई वैज्ञानिकों ने इसे डेल्टा जैसे कोरोना के घातक वैरिएंट्स के खिलाफ काफी असरदार माना है।
वैक्सीनेशन को मिलेगी रफ्तार
कोरोना से लड़ने के लिए भारत ने अपना वैक्सीनेशन अभियान अब बहुत तेज कर लिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, देश में अब तक 66.30 करोड़ से अधिक लोगों का टीकाकरण हो चुका है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का यह कहना है कि जायकोब-डी के उपलब्ध होते ही देश की वैक्सीनेशन रफ्तार में तेजी आ जाएगी।
जायडस कैंडिला के प्रबंध निदेशक डॉ शरविल पटेल ने कहा कि हमारी योजना सितंबर तक वैक्सीन की 30-40 लाख खुराक की आपूर्ति करने की है। हमारा लक्ष्य दिसंबर तक आपूर्ति को 3 करोड़ से 4 करोड़ तक बढ़ाने का है। देश के टीकाकरण अभियान को तेज करने में यह वैक्सीन बहुत ही महत्वपूर्ण और अहम भूमिका निभा सकती है।
यह वैक्सीन है कई मामलों में खास
जायकोब-डी को दो वजह से सबसे अलग और सबसे खास वैक्सीन माना जा रहा है। यह इसलिए क्योकि यह डीएनए आधारित तकनीक को सबसे खास बनाती है। जायकोब-डी एक प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन है जो प्लास्मिड नामक डीएनए अणु के गैर-प्रतिकृति वर्जन का प्रयोग करके तैयार की गई है। यह शरीर में सार्स-सीओवी-2 वायरस के मेंब्रेन पर मौजूद स्पाइक प्रोटीन का एक हानिरहित वर्जन तैयार करने में सहायता करेगी, जिससे भविष्य में संक्रमण के खिलाफ आसानी से सुरक्षा प्राप्त की जा सकेगी। इसके अतिरिक्त यह निडिल फ्री वैक्सीन है, यानी कि शरीर में इसे इंजेक्ट करने के लिए अन्य वैक्सीनों की तरह निडिल की जरूरत नहीं होगी। इसमें निडिल के बजाय जेट इंजेक्टर की मदद से इसके टीके लगाए जाएंगे।
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