छत्तीसगढ़ के बाजारों में मानसून के आने के साथ ही सबसे महंगी सब्जी आ गई है। जी हां, सबसे महंगी सब्जी! साल में महज डेढ़ दो महीने मिलने वाला बोड़ा जिसे यहां सबसे महंगी सब्जी के रूप में जाना जाता है। महंगी इसलिए, क्योंकि इसकी कीमत गावों में 300 रुपये किलो, तो आसपास के शहरों में करीब 600 रुपये है। जबकि महानगरों में यही बोड़ा 2 हजार किलो तक बिकता है। आखिर ये बोड़ा है क्या और कहां व कैसे पैदा होता है? आइए जानें इसके बारे में सबकुछ।
सिर्फ 2 महीने ही मिलता है ‘बोड़ा’
बस्तर और आसपास के इलाकों में मिलने वाला ‘बोड़ा’ बरसात के दो महीनों में ही मिलता है। मानसून के आने के साथ ही साल के जंगलों में यह पाया जाता है। बोड़ा को साल के पेड़ों के पास की नम जमीन को खुरचते व उसमें छिपे बोड़ा को जमाकर टोकरी में सहेजते आसानी से देखा जा सकता है।शुरू में निकलने वाला गहरी रंगत का बोड़ा ‘जात बोड़ा’ कहलाता है, जबकि महीनेभर बाद इसकी ऊपरी परत नरम होने के साथ सफेद होती जाती है। तब इसे ‘लाखड़ी बोड़ा’ कहते हैं। खासकर जनजातीय जीवन में यह सब्जी के रूप में इस्तेमाल होता रहा है, पर अब यह विशेष हो गया है।
कहीं ‘बोड़ा’ तो कहीं ‘पुटु’
बस्तर की लजीज सब्जी के रूप में मशहूर ‘बोड़ा’ को राज्य के अलग-अलग इलाकों में विभिन्न नामों से भी जाना जाता है। बस्तर और मध्य छत्तीसगढ़ में जहां इसे ‘बोड़ा’ कहते हैं, तो वहीं उत्तरी छत्तीसगढ़ के सरगुजा में यह ‘पुटु’ कहलाता है। मध्य छत्तीसगढ़ के पूर्वी भाग में इसे ‘पटरस फुटू’ भी कहते हैं। नाम चाहे जो भी रहे, बस्तर के जंगलों से निकलकर शहर के बाजार तक पहुंचने के बाद यह ‘बोड़ा’ न सिर्फ लोगों के रसोई की शान बन जाता है, बल्कि नेचुरल फूड के रूप में सेहतमंद भी होता है।
पोषण से भरपूर है ‘बोड़ा’
बोड़ा में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और खनिज तत्व पाये जाते हैं, जो कि इसे पौष्टिक बनाते हैं। वहीं कुपोषण, दिल औ पेट के रोगों में भी ये फायदेमंद माना जाता है, इसिलिए ये बोड़ा जंगल पर निर्भर रहने वाले वनवासियों के भोजन का सदियों से हिस्सा रहा है। हालांकि अब ये महानगरों तक बिकने लगा है। वनवासी पहली बरसात के बाद बोड़ा इकट्ठा करने जंगलो में जाते हैं। इसके बाद वह कुछ अपने लिए रख लेते हैं और बाकी बेचने के लिये रखते हैं। इससे उन्हें भोजन भी मिलता है और अच्छी खासी कमाई भी कर लेते हैं।
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