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उजड़ गई मां की गोद: सांप के डसने से दो मासूम भाइयों की मौत, एक ही रात में टूटा पूरा परिवार

अंबिकापुर: कोरिया जिले के एक छोटे से गांव छिंदिया में गुरुवार रात जो हुआ, उसने पूरे गांव को गम में डुबो दिया। एक ही परिवार के दो मासूम बेटे – 12 साल का सूर्या और 9 साल का मानव – गहरी नींद में थे, जब जिंदगी उनके पास से चुपचाप फिसल गई। सांप के डसने से दोनों भाइयों की मौत हो गई। एक का शव बैकुंठपुर अस्पताल में पड़ा था, तो दूसरे की सांसें अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में थम गईं। इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद मां भाग्यश्री भी सदमे से बेसुध हो गईं। उन्हें भी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

रात की नींद जो कभी नहीं टूटी होती
गुरुवार की रात थी। सूर्या और मानव पलंग पर सो रहे थे। मां पास में ही लेटी थी। पिता प्रताप राजवाड़े उस वक्त घर पर नहीं थे। रात करीब 2 बजे अचानक दोनों बच्चे उठे। दोनों के पेट में असहनीय दर्द था, सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। मां ने सोचा कुछ खाने-पीने से गड़बड़ हुई होगी, लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीता, बच्चों की हालत बिगड़ती गई।

अकेली मां ने हिम्मत जुटाकर पड़ोसियों को जगाया और निजी वाहन से बच्चों को अस्पताल ले जाया गया। लेकिन कुदरत को शायद कुछ और ही मंजूर था।

एक भाई बैकुंठपुर में गया, दूसरा अंबिकापुर में… फिर दोनों लौटे खामोश
बैकुंठपुर अस्पताल पहुंचते ही छोटे बेटे मानव ने दम तोड़ दिया। बड़े बेटे सूर्या की हालत भी गंभीर थी, जिसे तुरंत अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। लेकिन वहां पहुंचते-पहुंचते उसने भी अपनी अंतिम सांसें ले लीं।

दोनों बेटों की मौत की खबर जैसे ही मां को मिली, वह खुद भी होश खो बैठीं। अस्पताल के बेड पर अब एक और जख्मी दिल इलाज के लिए पड़ा था – एक मां, जिसकी गोद रातोंरात सूनी हो चुकी थी।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट: सांप के डसने से गई जान
दोनों बच्चों के शवों का पोस्टमॉर्टम बैकुंठपुर और अंबिकापुर में किया गया। डॉक्टरों ने पुष्टि की कि दोनों की मौत सर्पदंश से हुई है। एक के पैर में, तो दूसरे के जांघ पर सांप के काटने के निशान मिले। हैरानी की बात यह रही कि कोई भी सांप को देख नहीं सका। बच्चे पलंग पर सोए थे, जो आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है।

सबक: एक छोटी सी लापरवाही, एक अनंत दुख
इस हादसे ने न सिर्फ एक मां की गोद उजाड़ दी, बल्कि पूरे गांव को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि सावधानी कितनी जरूरी है। डॉक्टरों ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल सर्पदंश से बचाने में कारगर साबित हो सकता है।

आज छिंदिया गांव शोक में डूबा है। हर आंख नम है, हर दिल सवालों से भरा है – क्या यह हादसा रोका जा सकता था?

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