वैसे तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को छत्तीसगढ़िया सरकार कहा जाता हैं, क्योंकि (Chhattisgarh CM) छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़िया लोगों को प्राथमिकता देने की बात करतें हैं लेकिन जब छत्तीसगढ़ के सरकारी विभागों के डिजिटलाइजेशन (Digitalization) की बात आई तो प्रदेश के बाहर की कम्पनियों को इंपैनल्ड किया गया है। यह विभाग कोई और नहीं छत्तीसगढ़ इंफॉर्मेशन प्रमोशन सोसायटी (चिप्स Chips) है। यह विभाग छत्तीसगढ़ के अलग अलग विभागों के तकनिकी डिजिटलाइजेशन का काम देखता हैं।
बाहर की कंपनियों को लाभ पहुंचने की कोशिश
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के विभिन्न विभागों के कार्यलयों के डिजिटलाइजेशन के लिए 3 कंपनियों को इंपैनल्ड किया गया है, जिनका छत्तीसगढ़(Chhattisgar) से दूर – दूर नाता नहीं है । लोगों के यह भी कहना है सिर्फ और सिर्फ लाभ की दृष्टि से इन तीनों कंपनियों को मौका देने की कोशिश की जा रही है।
जानकारी देने से इंकार
विभाग के नियम के मुताबिक इंपैनल्ड वेंडर की पूरी सूची विभाग द्वारा जारी की जाती है। मगर आज तक चिप्स ने ऐसी कोई लिस्ट सार्वजनिक नहीं की है। इतना ही नहीं पूर्व में विभाग द्वारा एक ही इओआई द्वारा मंगाए गए प्रस्ताव में 3 कंपनियों को शामिल किया गया है। शेष कंपनियों को बगैर कारण बताए रिजेक्शन लिस्ट में डाल दिया गया है।
बाहरी कंपनियों को मिले लाभ ऐसी हैं नियम और शर्तें
चिप्स ने टेंडर प्रक्रिया में कुछ ऐसे नियम शामिल किए जिससे छत्तीसगढ़ की कंपनियां स्वतः इस लिस्ट में शामिल नहीं हो सकीं। नियम के मुताबिक कंपनियों का 3 साल का टर्न ओवर 30 करोड़ का होना चाहिए।
चिप्स के इस रवैए पर आईटी एसोसिएशन ऑफ छत्तीसगढ़ ने आपत्ति व्यक्त की है। एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि अधिकारियों ने मिली भगत से प्रदेश के बाहर की संस्थाओं को मनमाने दर पर काम दे दिया है। इसके साथ ही चिप्स ने दिसम्बर 2020 में जो टेंडर इम्पैनलमेंट के लिए निकाला था उसमें इम्पैनल्ड एजेंसियों की सूची भी जारी नहीं की है। वहीं चिप्स के अधिकारियों पर भी टेंडर से संबंधित पूछताछ करने पर गोलमोल जवाब देने का आरोप एसोसिएशन ने लगाया।
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