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लोकसभा से महिला आरक्षण बिल को मिली मंजूरी, विधेयक के पक्ष में पड़े 454 वोट, दो ने किया विरोध

Women Reservation Bill Passed: महिला आरक्षण बिल ( Mahila Aarakshan Bill) को लोकसभा से मंजूरी मिल गई है. बिल पर पर्ची से वोटिंग हुई. बिल के पक्ष में 454 वोट जबकि विरोध में दो वोट पड़े. वोटिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे. अब बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा. संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा में बुधवार (20 सितंबर) को करीब 60 सांसदों ने भाग लिया.

 

इस दौरान ज्यादातर विपक्षी पार्टियों ने संसद और विधानसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने वाले इस बिल का समर्थन किया, साथ ही इसे जल्द लागू करने और ओबीसी कोटा शामिल करने की मांग की. वहीं सरकार ने इसे बड़ा कदम बताते हुए कहा कि जनगणना और परिसीमन जरूरी है.

 

बिल पर चर्चा में 60 सांसदों ने अपने विचार रखे. राहुल गांधी ने कहा- OBC आरक्षण के बिना यह बिल अधूरा है, जबकि अमित शाह ने कहा- यह आरक्षण सामान्य, एससी और एसटी में समान रूप से लागू होगा. चुनाव के बाद तुरंत ही जनगणना और डिलिमिटेशन होगा और महिलाएं की भागीदारी जल्द ही सदन में बढ़ेगी. विरोध करने से रिजर्वेशन जल्दी नहीं आएगा.

 

शाह के बोलते ही हंगामा हुआ तो कहा- डरो मत

पर डिबेट का जवाब देने अमित शाह आए. उन्होंने कहा- संविधान के संशोधित करने वाले 128वें संशोधन पर बात करने के लिए मैं यहां खड़ा हूं. ये कहते ही विपक्ष का हंगामा शुरू कर दिया. इस पर शाह मुस्कुराते हुए राहुल गांधी की तरह बोले- डरो मत.

 

शाह ने कहा- महिला आरक्षण बिल युग बदलने वाला विधेयक है. कल का दिन भारतीय संसद के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाएगा. कल नए सदन का पहली बार श्री गणेश हुआ, कल गणेश चतुर्थी थी और पहली बार कई सालों से लंबित पड़े बिल को पास किया गया. देश में एससी-एसटी के लिए जितनी सीटें आरक्षित हैं, उनमें से भी 33 प्रतिशत महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी.

 

संशोधन क्या कहता है?

विधेयक में कहा गया है कि लोकसभा, राज्यों की विधानसभाओं और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. इसका मतलब यह हुआ कि लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी.

 

लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए सीटें आरक्षित हैं. इन आरक्षित सीटों में से एक तिहाई सीटें अब महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी.

 

इस समय लोकसभा की 131 सीटें एससी-एसटी के लिए आरक्षित हैं. महिला आरक्षण विधेयक के क़ानून बन जाने के बाद इनमें से 43 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. इन 43 सीटों को सदन में महिलाओं के लिए आरक्षित कुल सीटों के एक हिस्से के रूप में गिना जाएगा.

 

इसका मतलब यह हुआ कि महिलाओं के लिए आरक्षित 181 सीटों में से 138 ऐसी होंगी जिन पर किसी भी जाति की महिला को उम्मीदवार बनाया जा सकेगा यानी इन सीटों पर उम्मीदवार पुरुष नहीं हो सकते

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