संयुक्त राष्ट्र संघ ने सभी देशों से गुहार लगायी है कि युद्ध प्रभावित देश यमन में हालत तेजी से बिगड़ रहे हैं। उसने मदद के लिए दानदाताओं को आगे बढ़ने का आह्वान किया है। मानवतावादी अभियानों के प्रमुख मार्क लोवकॉक ने चेताया कि अगर संयुक्त राष्ट्र संघ की 3.85 अरब डॉलर की मांग पर उदारतापूर्वक विचार नहीं किया गया, तो यमन को अब तक के सबसे भयानक अकाल का सामना करना पड़ सकता है। इस सिलसिले में दानदाताओं खासतौर पर खाड़ी में यमन के पड़ोसी देशों से अपील की गई।
लोवकॉक ने बुधवार को खाड़ी देशों खासतौर पर सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के वर्ष 2018 और 2019 में उदारतापूर्वक दान को याद किया। मगर उन्होंने ये भी कहा कि पिछले वर्ष दान देने के मद में उन्होंने जबरदस्त कटौती की। उसका असर ये हुआ कि 2020 में एजेंसी प्रति माह केवल 90 लाख लोगों को खाद्य पदार्थ और अन्य मानवीय सहायता मुहैया करा पाई, जबकि वर्ष 2019 में खाद्य पदार्थ और मानवीय सहायता पाने वाले लोगों की संख्या एक करोड़ 30 लाख से एक करोड़ 40 लाख व्यक्ति प्रति माह थी। मानवतावादी अभियानों के प्रमुख ने पत्रकारों को बताया कि पिछले साल भोजन की सहायता नहीं पानेवाले 40 लाख लोग ‘उन लोगों में शामिल हैं जो भुखमरी की ओर बढ़ रहे हैं।’