नई दिल्ली| देश में कोरोना का कहर जारी हैं, लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों व मृतकों के आकड़ों में बढ़ोत्तरी हो रही हैं, हालाँकि पिछले कुछ दिनों से कोरोना के दैनिक मामलों में भारी गिरावट दर्ज की गई हैं|
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इस बीच महिला और बाल विका स मंत्रालय के सचिव राम मोहन मिश्रा ने इसे लेकर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को बुधवार को एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा कि जो कदम उठाए जा रहे हैं, उन्हें मुख्यधारा में लाने और सुगम बनाने के लिहाज से प्राथमिक कर्तव्य वाले लोगों की प्रमुख जिम्मेदारियां निर्धारित की गई हैं ताकि महामारी के दौरान बच्चों का सर्वश्रेष्ठ हित सुनिश्चित किया जा सके।
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मंत्रालय के सचिव ने राज्यों, जिलाधिकारियों, पुलिस, पंचायती राज संस्थाओं व शहरी स्थानीय निकायों की भूमिकाएं निर्धारित कर विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए। राज्यों को सर्वेक्षण और संपर्क के माध्यम से संकटग्रस्त बच्चों का पता लगाना होगा और हर बच्चे की प्रोफाइल के साथ डाटाबेस तैयार करना होगा।
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उन्हें बच्चों की विशेष जरूरतों का विवरण भी लिखना होगा और इसे ‘ट्रैक चाइल्ड पोर्टल’ पर अपलोड करना होगा।राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा कि बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआई) को अस्थाई रूप से ऐसे बच्चों को रखने का जिम्मा दिया जाए जिनके माता-पिता कोविड के कारण अस्वस्थ हैं और उनके परिवार में अन्य कोई संबंधी नहीं है।
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ऐसे बच्चों को जरूरी मदद दी जाए। उन्होंने ने राज्यों से एक स्थानीय हेल्पलाइन नंबर भी जारी करने को कहा जिस पर विशेषज्ञ बच्चों को मनोवैज्ञानिक सहयोग दे सकें।
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बता दें की राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने उच्चतम न्यायालय में दाखिल किए गए एक हलफनामे में कहा है कि राज्यों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, देश में 9346 बच्चे ऐसे हैं जो घातक कोरोना संक्रमण की वजह से अपने माता-पिता में से कम से कम एक को खो चुके हैं। इनमें 1700 से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं जिनके माता-पिता, दोनों की ही कोरोना वायरस संक्रमण से मृत्यु हो गई है।