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मानसून सत्र: सदन में हंगामे के चलते 107 में से 18 घंटे ही हुआ कामकाज, बर्बाद हुए जनता के 133 करोड़ रुपए

मानसून सत्र के दौरान पेगासस जासूसी मामला सहित अन्य मुद्दों पर विपक्षी दलों के विरोध के बीच संसद में 107 घंटों के निर्धारित समय में से केवल 18 घंटे ही काम हुआ। जिसके कारण भारतीय करदाताओं के 133 करोड़ रुपये से अधिक का झटका लगा है। समाचार एजेंसियों ने शनिवार को जानकारी दी कि 19 जुलाई से शुरू हुआ मानसून सत्र 13 अगस्त को समाप्त हो जायेगा। कहा कि अब तक सत्र में 89 घंटे बर्बाद हो चुके हैं।
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संसद के दोनों सदनों में पेगासस जासूसी, कृषि कानूनों, महंगाई और अन्य मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी दलों ने कार्यवाही बाधित की। हंगामे के बीच लोकसभा में विनियोग विधेयक के अलावा केवल पांच बिल और दो विधेयक पारित हो पाये हैं। लोकसभा अपने संभावित 54 घंटों में से केवल सात घंटे ही चली। राज्यसभा की बात करें तो वह संभावित 53 घंटों में से 11 घंटे ही चल पायी। यानी अब तक संसद में संभावित 107 घंटों में से केवल 18 घंटे (16.8 प्रतिशत) काम हो पाया।
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19 जुलाई से शुरू हुई संसद सत्र में विपक्ष लगातार हमलावर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्र के शुरुआत में कहा था कि सरकार सदन के भीतर विपक्ष के हर मुद्दे पर बहस को तैयार है, लेकिन विपक्ष कई मुद्दों पर सरकार के साथ खड़ी नहीं दिख रही है। यहां तक कि सत्ता पक्ष के विपक्ष के साथ कई दौर का बातचीत भी बेनतीजा साबित हुईं। एक अनुमान के मुताबिक संसद में कामकाज पर एक घंटे का अनुमानित खर्च तकरीबन 1 करोड़ 20 लाख का आता है।

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