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BREAKING: कवर्धा दंगे में भाजपा सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे समेत 14 पर FIR, अल्पसंख्यक आयोग ने मांगी रिपोर्ट…

छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में अभी माहौल भले ही शांत है, लेकिन तनाव बना बरकरार है। शुक्रवार सुबह 10 बजे तक के लिए प्रशासन ने कर्फ्यू में ढील दी थी। लेकिन अचानक से मिली इस छूट का लोगों को देर से ही पता चल पाया।
इधर, इस उपद्रव को लेकर प्रशासनिक कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है। पुलिस ने भाजपा सांसद संतोष पांडेय, पूर्व CM डॉ. रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह समेत 14 भाजपा नेताओं पर अशांति फैलाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया है। यहां तक कि अल्पसंख्यक आयोग ने भी कलेक्टर को पत्र लिखा है और 9 बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी है।
बता दें कि शहर में 5 अक्टूबर को हुए उपद्रव के बाद पुलिस ने 3 अलग-अलग FIR दर्ज की थी। जब भाजपा ने FIR की कॉपी कोर्ट से निकलवाई, तो यह पता चला कि इसमें वरिष्ठ नेताओं का नाम भी जोड़े गए हैं। इनमें सांसद संतोष पांडेय, पूर्व सांसद अभिषेक सिंह, पूर्व विधायक मोतीराम चंद्रवंशी, अशोक साहू, प्रदेश मंत्री विजय शर्मा, जिलाध्यक्ष अनिल सिंह, भाजयुमो जिलाध्यक्ष पीयूष ठाकुर, VHP जिला प्रमुख नंदलाल चंद्राकर सहित कैलाश चंद्रवंशी, राजेंद्र चंद्रवंशी, पन्ना चंद्रवंशी, उमंग पांडेय, राहुल चौरसिया, भुनेश्वर चंद्राकर के नाम शामिल हैं।
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अल्पसंख्यक आयोग ने किया सवाल-
 इस पूरी घटना के बाद अब छत्तीसगढ़ अल्पसंख्यक आयोग भी बहुत सक्रिय हो गया है। आयोग के अध्यक्ष महेंद्र छाबड़ा ने कवर्धा कलेक्टर को पत्र लिखा और उनसे 9 बिंदुओं पर जानकारी मांगी है। इस पत्र में सवाल किया गया है कि दंगा भड़काने के मूल कारण क्या थे? क्या अब स्थिति नियंत्रण में है? अब ऐसी संभावना जताई जा रही है कि आयोग की टीम जिले का दौरा कर सकती है।
सांप्रदायिक दंगा भड़कने का मूल कारण क्या है? आज तक कितने दंगाइयों को गिरफ्तार किया गया?
जिले में सांप्रदायिक सद्भाव फिर से स्थापित करने के लिए क्या समुदायों के प्रमुख और दोनों गुटों के बीव शांति समिति की बैठक की गई?
क्या सीसीटीवी फुटेज की सहायता से दंगाइयों की पहचान हो पाई है? और उन पर क्या कार्रवाई की गई?
दंगा प्रभावित क्षेत्र में कलेक्टर ने धारा-144 लागू कर दी थी, इसके बाद भी एक पक्ष ने रैली निकाली। इसकी अनुमति किसने प्रदान की?
सांप्रदायिक दंगा 5 अक्टूबर को हुए नुकसान का अनुमान लगाने के लिए क्या किसी समिति का गठन किया गया है?
क्या पीड़ितों की पहचान कर उन्हें तत्काल राहत पहुंचाने के लिए कोई मुआवजा राशि प्रदान की गई? अगर नहीं तो तत्काल राहत देने के लिए क्या किया गया?
जिले में धारा-144 लागू होने के बाद भी जिले के बाहर से बड़ी संख्या में लोग कैसे अंदर प्रवेश कर गए?
क्या जिले की वर्तमान स्थिति नियंत्रण में है? यह दंगा फिर से नहीं भड़के, इसके लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
पीडिृत अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए प्रशासकीय स्तर पर क्या कदम उठाए गए हैं?
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मंगलवार को उस समय कर्फ्यू लगा दिया गया था जब एक रास्ते से धार्मिक झंडों को हटाने को लेकर हुई झड़प के बाद हिंसा भड़क गई थी। हिंसा में तीन पुलिसकर्मियों समेत करीब एक दर्जन लोग मामूली रूप से घायल हो गए। कस्बे के लोहारा चौक इलाके से धार्मिक झंडों को हटाने को लेकर रविवार शाम से तनाव शुरू हो गया था।
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मंगलवार को, विरोध हिंसक हो गया क्योंकि बाइक को आग लगा दी गई और कुछ घरों में तोड़फोड़ की गई, पुलिस को लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। बुधवार को, विपक्षी भाजपा नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने शहर का दौरा किया। भाजपा ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल को “पीड़ित” परिवारों से मिलने की अनुमति नहीं है। इसके विरोध में प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने धरना दिया। अधिकारियों ने अनुमति से इनकार करने के लिए चार से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध का हवाला दिया।

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