देश में कोरोना का कहर अभी भी जारी है। कम होने के बजाय यह बढ़ते हो जा रहा है और घातक होता जा रहा है। कानपुर IIT के प्रोफेसर डॉक्टर मनिंद्र अग्रवाल ने कोरोना से जुड़े कई अहम सवालों के जवाब दिए हैं। उनके मुताबिक, आने वाले दिनों में रोजाना 4 से 8 लाख तक कोरोना के मरीज मिलेंगे।
उन्होंने दावा करते हुए कहा कि अस्पतालों में इलाज के दौरान बेड की भी कमी होगी। इस वजह से उचित प्रबंधन और योजना की आवश्यकता है। आगे उन्होंने कहा कि पीक के दौरान डेढ़ लाख बिस्तरों की आवश्यकता हो सकती है।
आगे प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि साउथ अफ्रीका के डेटा पर आधारित हमारे पहले के अनुमान और इस अनुमान में काफी अंतर है। उन्होंने कहा कि साउथ अफ्रीका का डेटा भारत से अलग है। समय के साथ हम अनुमानों को अधिक सटीक बनाएंगे।
उन्होंने कहा कि भारत के लिए भविष्यवाणी करना बहुत ज्यादा कठिन है। हमारा अनुमान है कि जनवरी के आखिरी सप्ताह या फिर फरवरी के शुरुआत में तीसरी लहर का पीक हो सकता है। इस दौरान प्रतिदिन 4 से 8 लाख केस आएंगे।
दिल्ली में तीसरी लहर का पीक
प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली की स्थिति बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है मगर धीरे से सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में 15 जनवरी के आसपास तीसरी लहर का पीक हो सकता है। इस बीच रोजाना 35 से 70 हजार केस सामने आएंगे। इसके साथ तीसरी लहरा के दौरान अस्पतालों में 12 हजार से कम बेड की आवश्यकता होगी।
उन्होंने कहा कि पीक के दौरान मुंबई में रोजाना 30 से 60 हजार कोरोना के नए केस सामने आएंगे। चूंकि, मुंबई में अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या काफी कम है, इसलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि पीक के दौरान अस्पतालों में 10 हजार बेड तक जरूरत होगी।
मुंबई और दिल्ली में तीसरी लहर का पीक
प्रोफेसर अग्रवाल ने आगे बताया कि दिल्ली और मुंबई में अगले 10 दिनों में कोरोना की तीसरी लहर का पीक होगा। उन्होंने बताया कि दोनों शहरों में करीब 30,000 से 50,000 कोरोना के मामले हैं। डॉक्टर अग्रवाल के अनुसार, भारत में इस महीने के अंत तक कोरोना की तीसरी लहर का पीक होगा। यहां एक दिन में 4 से 8 लाख तक नए केस सामने आएंगे।
आगे उन्होंने कहा कि यदि लॉकडाउन नहीं लगाया गया तो मार्च तक कोरोना की तीसरी लहर के पीक के नीचे आने की संभावना है। भारत में मार्च के अंत तक रोजाना 10 हजार से 20 हजार कोरोना के नए केस आने की उम्मीद है। वहीँ डॉक्टर अग्रवाल ने कहा कि अस्पतालों में कोरोना के कम मरीजों के भर्ती होने की उम्मीद रखें।
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