छत्तीसगढ़ अपने आप मे खूबसूरती की मिसाल पेश करता है। यहां के जिलों की अपनी एक विशेषता है। लेकिन बस्तर जिले की बात ही कुछ और है। बस्तर प्राकृतिक छटा को लेकर बहुत प्रसिद्ध है। यहां के पहाड़, नदियां, झरने सब कुछ मनमोहक होते हैं। अब यहां मनोरंजन को बढ़ावा देने के लिए कई सारी व्यवस्थाएं की जा रही हैं।
अब बस्तर में दो पहाड़ों के बीच ऊंचाई पर साइकिल चला सकेंगे, सुपरमैन की तरह रस्सी के सहारे हवा से बातें करते हुए स्लाइड और हरी-भरी वादियों में जंप लगा सकेंगे। बस्तर जल्द ही एडवेंचर स्पोर्ट्स का हब बनेगा। दंतेवाड़ा जिले में एडवेंचर स्पोर्ट्स को लेकर नई फैसिलिटी शुरू करने पर जोरों शोरों से तैयारियां शुरू की जा चुकी हैं।
यहां साहसिक खेलों और मनोरंजन को बढ़ावा देने के लिए बस्तर संभाग के पहले एडवेंचर पार्क की स्थापना जिला खनिज संस्थान न्यास निधि (DMF) मद के अंतर्गत जिला प्रशासन और वन विभाग के संयुक्त रूप से किया जा रहा है। यह डंकनी नदी के तट पर बनाया जाएगा। एडवेंचर पार्क में संचालित होने वाली साहसिक खेल गतिविधियों और प्रशिक्षण से पर्यटकों को अपने स्वास्थ्य को उत्तम बनाए रखने में मदद मिलेगी।
कलेक्टर दीपक सोनी ने कहा कि, यह पार्क दंतेवाड़ा जिले के पर्यटन विकास के क्षेत्र में एक बहुत ही महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में साबित होगी। इसके अंतर्गत साइकिल जिप लाइन के निर्माण समेत सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त दंतेवाड़ा और इसके आस-पास ढोलकल, सातधार समेत अन्य महत्वपूर्ण स्थानों तक पर्यटन सुविधाओं को बढ़ाई जा रही है। कलेक्टर ने बताया कि यह पर्यटन के क्षेत्र में पर्यटकों की रुचि का केंद्र और दंतेवाड़ा जिले की प्रगति में मील का पत्थर साबित होगा।
तो आइये जानते हैं कि क्या है एडवेंचर पार्क
जानकारी के लिए आपको बता दें कि एडवेंचर पार्क एक आधुनिक व्यायाम प्रक्रिया साधन है। इसमें जिप लाइन, साइकिल जिप लाइन, किड एडवेंचर स्पोर्ट्स जैसे रस्सी से निर्मित पुल, हवा में ऊपर छलांग लगाने वाला कमरबंद झूला आदि साहसिक खेल प्रदर्शन के जरिए नई विधियों और तकनीकों से परिचय कराना है। इसे देखते हुए खेल प्रशिक्षकों और खेल वैज्ञानिकों द्वारा पार्क के जरिए नए और प्रभावी जानकारी कुशलता से प्रदान की जाएगी।
कॉटेज हट का भी होगा निर्माण
दंतेवाड़ा जिले में पर्यटन के क्षेत्र में ढोलकल पहाड़ी में प्राचीन भगवान गणेश जी की प्रतिमा बहुत ही प्रसिद्ध है। यहां देश और विदेश से पर्यटक दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए ढोलकाल में बस्तर और छत्तीसगढ़ की पारंपरिक शैली अनुसार पर्यटकों के रुकने की उत्तम व्यवस्था तथा पारंपरिक खान-पान से संबंधित गढ़कलेवा को स्थानीय रोजगार से जोड़ने की बहुत ही महत्वपूर्ण योजना भी बनाई जा रही है। इसी प्रकार परंपरागत बस्तर और छत्तीसगढ़िया खान-पान के साथ अत्याधुनिक कॉटेज हट अपने आप में आधुनिकता का पारंपरिक संस्कृति के संरक्षण और लोकप्रियता के साथ प्रदर्शन किया जाएगा।
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