RSS प्रमुख मोहन भागवत ने ऐसी कौन सी रिसर्च की जो कह रहे हैं कि जाति ब्राह्मणों ने बनाई? : शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद
शंकराचार्य आश्रम में मीडिया से बातचीत के दौरान शंकराचार्य ने कहा, हम गीता का लगातार अध्ययन करते रहते हैं। आरएसएस भी समय-समय पर मांग करती रही है कि गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाए।
रायपुर. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जाति व्यवस्था को ब्राह्मणों की देन बताया है। इस पर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है। इस बीच ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का बड़ा बयान आया है। उन्होंने सवाल उठाते हुए पूछा है कि भागवत ने ऐसी कौन सी रिसर्च कर ली है जो कह रहे हैं कि जाति ब्राह्मणों ने बनाई?
शंकराचार्य सोमवार को राजधानी रायपुर पहुंचे थे। यहां बोरियाकला स्थित शंकराचार्य आश्रम में मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, हम गीता का लगातार अध्ययन करते रहते हैं। आरएसएस भी समय-समय पर मांग करती रही है कि गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाए। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने कई विदेश दौरों में विभिन्न राष्ट्र के अध्यक्षों को गीता की प्रति भेंट कर चुके हैं। उसी गीता में श्रीकृष्ण कह रहे हैं कि वर्ण मैंने बनाए हैं। मोहन भागवत बड़े आदमी हैं। जो कहते हैं, सोच-समझकर कहते हैं। हम उन पर कोई टीका-टिप्पणी नहीं करना चाहते। केवल इतना ही जानना चाहते हैं कि उन्होंने किस आधार पर ऐसा कहा कि वर्ण व्यवस्था ब्राह्मणों ने बनाई। उन्हें इसका जवाब देना चाहिए। शंकराचार्य ने देश में अभी चल रहे कई ज्वलंत मुद्दों पर भी अपनी राय रखी, आप भी पढ़िए…
रामचरित मानस: चुनाव आयाेग ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई करे
आज के नेता वोटों के लिए कुछ भी कर सकते हैं। उत्तरप्रदेश से जिस तरह श्रीरामचरित मानस के खिलाफ टीका टिप्पणी सामने आ रही है और प्रति जलाई जा रही है, वो सब भी वोट की राजनीति से प्रेरित है। इस तरह के लोग अपने राजनीतिक हित के लिए समाज को दो फाड़ में बांटने का काम कर रहे हैं। इस घटना पर तो चुनाव आयोग को संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए। ऐसे किसी भी व्यक्ति को चुनाव नहीं लड़ने देना चाहिए जो वोटों के लिए किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करता हो। जिस ग्रंथ पर पूरे देश की आस्था हो, उस पर अनर्गल टिप्पणी करना, पैरों से कुचलना, जलाना आदि उचित नहीं है।
श्रीराम मंदिर: ट्रस्ट ने जल्दबाजी की, जनभावना को समझना था
श्रीराम मंदिर में शालिग्राम की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इसके लिए नेपाल से प्राचीन शिला लाई गई है। अयोध्या में इसकी शोभायात्रा निकाली गई जिसके बाद बड़ा बवाल मच गया। लोगों का कहना है कि शालिग्राम को हम भगवान मानते हैं। फिर इस पर छैनी-हथौड़ी कैसे चलने दें? इस पर शंकराचार्य ने कहा, श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ ट्रस्ट ने जल्दबाजी की। शिला से पहले प्रतिमा बना लेते, फिर शोभायात्रा निकाल लेते। तीन की जगह तीस दिन लगते। कम से कम जन भावनाएं तो आहत नहीं होती।
हिंदू राष्ट्र: ये केवल जुमलेबाजी अगर ऐसा नहीं तो खाका बताएं
एक ओर पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए पूरे देश में अभियान चला रहे हैं। दूसरी ओर, शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने इस मांग को ही गलत बता दिया। उन्होंने कहा, हिंदू राष्ट्र जुमलेबाजी से ज्यादा कुछ नहीं। जो लोग हिंदू राष्ट्र की मांग कर रहे हैं, क्या वे बता सकते हैं कि हिंदू राष्ट्र कैसा होगा? खाका सामने रखें और बताएं कि क्या हिंदू राष्ट्र बनने से राजनीतिक व्यवस्था में क्या खास बदलाव होगा। स्वामी करपात्री महाराज ने भी हिंदू राष्ट्र की मांग को गलत बताया था। वे रामराज की मांग करते थे जहां प्रजा सुखी हो।