G20: जबरदस्त हिंदी के चलते चर्चा में अमेरिकी अधिकारी, कौन हैं मार्गरेट मैक्लाउड?
ये अमेरिकी अधिकारी कोई और नहीं बल्कि मार्गरेट मैक्लाउड हैं. वे अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हैं. वे शिखर सम्मेलन के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से पहले ही दिल्ली पहुंच गई थीं. मार्गरेट अपनी फर्राटेदार हिंदी के चलते भारत में जबरदस्त चर्चा में बनी हुई हैं.
वैसे तो जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता का जिक्र पूरी दुनिया में हो रहा है लेकिन इस दौरान अन्य कई चीजें भी भारत में चर्चा में बनी हुई हैं. इसी कड़ी में अमेरिकी विदेश विभाग की एक अधिकारी भी चर्चा में हैं. वे ना सिर्फ हिंदी समझती हैं बल्कि इसके साथ ही बहुत अच्छी हिंदी बोलती भी हैं. उनका बोला हुआ एक-एक शब्द बड़ी ही आसानी से समझ आएगा. ये अमेरिकी अधिकारी कोई और नहीं बल्कि मार्गरेट मैक्लाउड हैं. वे अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हैं. वे शिखर सम्मेलन के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से पहले ही दिल्ली पहुंच गई थीं.
भारत की सराहना की
दरअसल, जानकारी के मुताबिक मार्गरेट मैक्लाउड अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हैं. मार्गरेट ने जी20 शिखर सम्मेलन की तैयारियों और बतौर अध्यक्ष महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए भारत की सराहना की है. उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका ने कई चुनौतियां झेली हैं. दोनों देशों को काफी अनुभव है, जो हम पूरी दुनिया को शेयर कर सकते हैं. खास बात है कि वे हिंदी में बातचीत करती हैं. उन्हें एक राजनयिक के तौर पर 14 साल का अनुभव है. मार्गरेट की लिंक्डन प्रोफाइल के अनुसार वो अंग्रेजी के अलावा हिंदी, उर्दू, गुजराती, फ्रेंच और जापानी भाषा जानती हैं.
मुखर्जी नगर में पहले रह चुकी हैं
मार्गरेट ना सिर्फ वो हिंदी भाषा पर पूरी पकड़ रखती हैं, बल्कि इसके साथ ही वो उर्दू, गुजराती भी वो बोल लेती हैं. हाल ही में उनके कई वीडियो और इंटरव्यू सामने आए जिसे देखकर लोग उनकी हिंदी समझ की जमकर तारीफ कर रहे हैं. अपनी शानदार हिंदी बोलने को लेकर मार्गरेट ने बताते हुए कहती हैं कि, वे दिल्ली के मुखर्जी नगर में पहले रह चुकी हैं, जहां पर उन्होंने काफी शानदार हिंदी बोलना सीखा है. उनकी पढ़ाई दिल्ली में हुई है. वे दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में थीं.
हिंदी बोलने के लिए काफी मेहनत
उन्होंने बताया कि उन्हें दिल्ली की ऐतिहासिक इमारतें पुराना किला, लाल किला काफी पसंद है. उन्होंने कहा कि मैंने हिंदी बोलने के लिए काफी मेहनत की है और मैं हिंदी में गुफ्तगू करती रहती हूं. इसके साथ ही आगे वह कहती हैं कि विदेश मंत्रालय में आने के बाद वह पहले कुछ समय दिल्ली में रहकर भी अपनी सेवा दे चुकी हैं.