Chhattisgarh Rajya Utsav 2025: कृषि पंडाल में दिखेगा छत्तीसगढ़ में कृषि विकास के 25 बछर की झलक

रायपुर। छत्तीसगढ़ अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर इस वर्ष रजत जयंती मना रहा है। राज्योत्सव 2025 के अवसर पर कृषि विभाग की प्रदर्शनी में आगंतुकों को प्रदेश में बीते 25 वर्षों में हुए कृषि विकास की झलक देखने को मिलेगी।
प्रदेश ने नवीन तकनीकों और नवाचारों को अपनाते हुए कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। “धान का कटोरा” कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में कृषि और इससे जुड़े उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
रसायन मुक्त खेती की दिशा में पहल
राज्य में किसानों को रसायन-मुक्त खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा पीएम किसान सम्मान निधि, कृषक उन्नति योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, एकीकृत जलग्रहण प्रबंधन, प्रधानमंत्री सूक्ष्म सिंचाई योजना और ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ जैसी योजनाएं संचालित की जा रही हैं।
‘ड्रोन दीदी’ अभियान के तहत उर्वरक की कमी को दूर करने के लिए नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। वहीं ‘पीएम प्रणाम’ कार्यक्रम के माध्यम से रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी और जैविक खाद के प्रयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार
राज्य में सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर कृषि ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन की व्यवस्था ने किसानों की आय में बढ़ोतरी की है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में धान का मूल्य देश के अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है।
इन योजनाओं के परिणामस्वरूप प्रदेश में कृषि स्तर और किसानों की आर्थिक स्थिति दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
6727 हजार हेक्टेयर में फसल क्षेत्राच्छादन
राज्य की स्थापना वर्ष 2000 में कुल फसली क्षेत्र 5408 हजार हेक्टेयर था, जो 2025 में बढ़कर 6727 हजार हेक्टेयर हो गया है।
* खरीफ फसलों का क्षेत्र 4636 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 4865 हजार हेक्टेयर
* धान का क्षेत्र 3795 से बढ़कर 3981 हजार हेक्टेयर
* दलहन क्षेत्र 238 से बढ़कर 260 हजार हेक्टेयर
* रबी फसलों का क्षेत्र 772 से बढ़कर 1862 हजार हेक्टेयर
उत्पादन के लिहाज से खरीफ फसलों का उत्पादन 3929 हजार मीट्रिक टन (2000) से बढ़कर 12,927 हजार मीट्रिक टन (2025) हो गया है। वहीं रबी फसलों का उत्पादन 483 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर 2775 हजार मीट्रिक टन पहुंच गया है।
उत्पादकता और सिंचाई में बढ़ोतरी
वर्ष 2000 में खरीफ फसलों की औसत उत्पादकता 867 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी, जो 2025 में बढ़कर 2657 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है। रबी फसलों की उत्पादकता 625 से बढ़कर 1490 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक पहुंच गई है। फसल सघनता भी 112 प्रतिशत से बढ़कर 138 प्रतिशत हुई है। सिंचाई क्षेत्र 1042 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 1892 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया है।
किसान परिवारों की संख्या में बढ़ोतरी
वर्ष 2000 में राज्य में 32.55 लाख किसान परिवार कृषि से जुड़े थे। वर्तमान में यह संख्या बढ़कर 40.11 लाख हो गई है, जिनमें 24.34 लाख सीमांत, 8.80 लाख लघु और 6.97 लाख दीर्घ किसान शामिल हैं।
प्रयोगशालाओं और संस्थानों का विस्तार
वर्ष 2000 में राज्य में केवल एक उर्वरक गुण नियंत्रण और एक मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला संचालित थी। वर्तमान में इनकी संख्या क्रमशः 8 और 36 हो गई है।इसी तरह 2000 में एक कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत केवल एक महाविद्यालय संचालित था, जबकि अब 2025 में यह संख्या बढ़कर 39 (28 घटक एवं 11 संबद्ध) महाविद्यालयों तक पहुंच गई है।
राज्योत्सव 2025 में कृषि पंडाल इन 25 वर्षों की इस विकास यात्रा को प्रदर्शित करेगा – एक ऐसे छत्तीसगढ़ की कहानी, जिसने पारंपरिक खेती को आधुनिक तकनीकों से जोड़कर नई ऊंचाइयों को छुआ है।