बीजापुर नक्सली हमला: आखिर कब तक हमारे जवान नक्सलियों के हाथों होते रहेंगे शहीद? डेढ़ दशक में 25 बड़ी वारदातें…
छत्तीसगढ़(Chhattisgarh) में तीन दशक से भी ज्यादा समय से बेख़ौफ होकर नक्सली हमारे जवानों को मौत के घाट उतारते रहेें हैं। जिसकी चर्चा कुछ दिनों तक होती है बाद में सब शांत हो जाते हैं। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहने वाले सियासी सूरमाओं के बयान आते हैं। छत्तीसगढ़ में सरकार चाहे भाजपा की रही हो या कांग्रेस की, मुख्यमंत्री चाहे भाजपा के रमन सिंह रहे हों, या कांग्रेस के मौजूदा सीएम भूपेश बघेल, नक्सल समस्या को मंच से खत्म करने के लिए करीब-करीब एक जैसा जुमला बोलते हैं। 2018 तक रमन सिंह कहते थे कि ‘इस बार नक्सलियों के खिलाफ आखिरी लड़ाई छत्तीसगढ़ में लड़ी जाएगी’।अब भूपेश बघेल मंच से बोलते हैं कि ‘हम नक्सलियों को उनके घर में घुस कर मारेंगे’।
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलियों ने एक बार फिर बड़े हमले को अंजाम दिया है।इस हमले में CRPF के 23 जवान शहीद हो गए और कई जख्मी हैं। घायल जवानों को इलाज के लिए रायपुर के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
हर बार की तरह इस बार भी वारदात के बाद केन्द्र और राज्य सरकार मिलकर नक्सलियों के खात्मे के लिए साझा रणनीति का ब्लूप्रिंट तैयार करती है, समन्वय समितियां बनाई जाती हैं, सुरक्षा बलों को मैदान में कूदने को कहा जाता है, लेकिन नतीजा एक और नक्सली वारदात की शक्ल में सामने आता है। इसका ताजा उदाहरण 23 मार्च मंगलवार को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में हुई इस साल की वो सबसे बड़ी वारदात है, जहां नक्सलियों ने जवानों से भरी बस को आईडी ब्लास्ट से उड़ा दिया। इस बस में 24 जवान सवार थे, जिनमें से 5 शहीद हो गए और 14 से ज्यादा गंभीर रूप से घायल हो गए। नारायणपुर की ताजा वारदात के बाद सूबे के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू का वही पुराना घिसा-पिटा बयान सामने आया, जिसमें वह कहते हैं कि नक्सली बौखला गए है। अहिंसा चाहते हैं तो हिंसा क्यों कर रहे। नारायणपुर घटना को बीते 1 महीना भी नहीं हुआ था, बीजापुर में फिर से नक्सलियों ने हमारे जवानों पर इतना बड़ा हमला किया मानो उनको किसी का खौफ़ नहीं है।
डेढ़ दशक में 25 बड़ी वारदातें
2005 में छत्तीसगढ़ की तत्कालीन सरकार ने नक्सली आतंक मिटाने और उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने के लिए बहुचर्चित सलवा जुडुम नामक अभियान चलाया था, जिसके बाद राज्य में नक्सली आतंक तेजी से फैला. पिछले डेढ़ दशक में नक्सलियों ने दिल दहला देने वाली 24 से ज्यादा बड़ी वारदातें की, जिसमें सुरक्षाबलों के सैकड़ों अफसर और जवान मारे गए. बड़े पैमाने पर नृशंस हत्याएं की गई. आइए ऐसी ही कुछ हौलनाक घटनाओं पर नजर डालते हैं…
28 फरवरी 2006: नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के एर्राबोर गांव में बारूदी सुरंग धमाका किया, जिसमें 25 जवानों की जान गई थी।
16 मई 2006: दंतेवाड़ा के राहत शिविर पर हमला, कई ग्रामीणों का अपहरण, 29 लोगों को मौत के घाट उतार दिया।
15 मार्च 2007: बस्तर क्षेत्र के पुलिस बेस कैंप पर 350 नक्सलियों का हमला. सीएएफ के 15 जवान शहीद।
6 अप्रैल 2010 : दंतेवाड़ा के ताड़मेटलला में एक के बाद एक कई ब्लास्ट, अर्धसैनिक बल के 75 जवानों सहित 76 मौतें।
8 मई 2013 : नक्सलियों ने पुलिस की गाड़ी उड़ाई, भारतीय अर्धसैनिक बल के 8 जवान शहीद।
25 मई 2013 : दरभा की झीरम घाटी में नक्सलियों का बहुत बड़ा हमला, नक्सलियों ने इस हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस का पूरा नेतृत्व ही खत्म कर दिया था. प्रदेश कांग्रेस के 25 नेताओं की मौत हुई थी, जिसमें विद्याचरण शुक्ल, महेन्द्र कर्मा, नंद कुमार पटेल जैसे बड़े नेता शामिल थे।
28 फरवरी 2014; झीरम घाटी में घात लगाकर नक्सलियों का हमला, सीआरपीएफ के 11 जवान और 4 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतारा।
1 मार्च 2017: नक्सली हमले में 11 कमांडो शहीद।
22 मार्च 2020- सुकमा जिले के कोराजडोंगरी के चिंता गुफा के पास नक्सली हमले में 17 जवान शहीद।
सीएम भूपेश बघेल के कार्यकाल में बढ़े नक्सली हमले
यह हम नहीं कहते, बल्कि लोकसभा में दी गई जानकारी के आंकड़े कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में 2018 से लेकर 2020 तक तीन साल में 970 नक्सली घटनाएं हुईं, जिनमें सुरक्षा बलों के 113 जवान शहीद हुए। 2019 में छत्तीसगढ़ में 263 घटनाएं हुईं थी, जो 2020 में 20 फीसदी बढ़कर 315 हो गईं। 2019 में नक्सली हमलों में छत्तीसगढ़ में 22 जवान शहीद हुए थे और 2020 में 36 जवानों की जान गई। बता दें कि मौजूदा साल 2021 में जनवरी में नक्सली कुछ पुलिस वालों और फरवरी में 3 जवानों की जान ले चुके हैं। 23 मार्च को नारायणपुर की नक्सली वारदात जिसमें 5 जवान शहीद हो गए।