BJP कल राजस्थान में लाएगी अविश्वास प्रस्ताव, कांग्रेस की बढ़ी मुश्किलें
राजस्थान में जारी पॉलिटिकल ड्रामा अभी ख़त्म नहीं हुआ है। प्रदेश में अभी भी सियासी हलचल जारी है। इसी बीच प्रदेश में विधानसभा सत्र शुक्रवार से होने वाला है,और भारतीय जनता पार्टी ने अविश्वास प्रस्ताव लेन का ऐलान भी किय है। ऐलान के बाद अशोक गहलोद सर्कार के सामने बहुमत साबित करने की चुनौती सामने आ गई है। बीजेपी ने शुक्रवार की अपनी मीटिंग के बाद ये ऐलान किया था।
राजस्थान विधानसभा में BJP के नेता गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि कांग्रेस अपने घर में टांका लगाकर कपड़े को जोड़ना चाह रही है, लेकिन कपड़ा फट चुका है. ये सरकार जल्द ही गिरने वाली है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि यह सरकार अपने विरोधाभास से गिरेगी, बीजेपी पर यह झूठा आरोप लगा रहे हैं. लेकिन इनके घर के झगड़े से बीजेपी का कोई लेना देना नहीं है
आपको बता दें कि गुरुवार को ही भारतीय जनता पार्टी ने जयपुर में विधायकों के साथ बड़ी बैठक की. इसमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी शामिल हुईं, जबकि केंद्रीय नेतृत्व की ओर से प्रतिनिधि ने भी बैठक में हिस्सा लिया.
राज्यपाल के आदेश के बाद 14 अगस्त से विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है. हालांकि, राज्य सरकार की ओर से अभी सिर्फ कोरोना वायरस संकट, लॉकडाउन और अन्य मुद्दों पर चर्चा की बात कही गई थी. इस बीच अब अगर भारतीय जनता पार्टी अविश्वास प्रस्ताव लाती है तो चर्चा के बाद अशोक गहलोत सरकार को अपना बहुमत साबित करना ही होगा
कांग्रेस के लिए मुश्किल होगा बहुमत साबित करना?
बगावत करने वाले सचिन पायलट एक बार फिर कांग्रेस के पास पहुंच गए हैं, गुरुवार शाम को होने वाले कांग्रेस विधायक दल की बैठक में अशोक गहलोत-सचिन पायलट गुट के विधायक शामिल होंगे. बताया जा रहा है कि पायलट गुट की वापसी से कई विधायक नाराज हैं और इसकी ही चिंता पार्टी आलाकमान को सता रही है.
दूसरी ओर बसपा विधायकों के विलय का मामला भी अभी अदालत में चल रहा है, ऐसे में अशोक गहलोत सरकार के सामने पायलट गुट को मनाने के साथ-साथ अपने कैंप के विधायकों को भी साथ रखने की चुनौती होगी.
राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं, इनमें से 107 का आंकड़ा कांग्रेस के पास है. साथ ही कई निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन है. जबकि बीजेपी के पास साथी पार्टियां मिलाकर 76 का आंकड़ा है. लेकिन हाल ही में हुए मनमुटाव के एपिसोड के बाद बहुमत साबित करना इतना आसान नहीं होगा.