रायपुर। खेतों और आवासीय क्षेत्रों में बोरवेल को खुला छोड़ने की प्रवृत्ति पर सरकार ने सख्त रूप ले लिया है। जांजगीर-चांपा जिले में 10 वर्षीय बच्चे के खुले बोरवेल में गिर जाने के बाद सभी जिलों में ऐसे खुले बोरवेल बंद कराने के निर्देश हुए हैं। अफसरों को इसकी नियमित समीक्षा के लिए भी कहा जा रहा है।
मुख्यमंंत्री कार्यालय ने सभी जिलों के कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को बोरवेल के संबंध में निर्देश जारी किया है। कहा गया है, अफसर यह सुनिश्चित करें कि कोई बोरवेल खुला न हो। जिससे दुर्घटनाएं हो सकती हों, ऐसे बोरवेल को तुरंत बंद करें। इस काम की नियमित रूप से समीक्षा के लिए भी कहा गया है ताकि बोरवेल को बंद करना सुनिश्चित किया जा सके।
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शुक्रवार को जांजगीर-चांपा जिले के मालखरौदा क्षेत्र स्थित पिहारिद गांव में एक 10 वर्षीय बच्चा राहुल, अपने घर के पीछे बाड़ी में खेलते हुए वहां ओपन बोरवेल में गिर गया है। उसके बचाव के लिए आपदा राहत टीमें लगातार अभियान चला रही हैं। सुबह 10.50 बजे तक भी बच्चे को बाहर नहीं निकाला जा सका था। NDRF-राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और SDRF-राज्य आपदा मोचन बल की टीमें वहां लगातार काम कर रही हैं।
कैसे मौत का फांस बन जाता है बोरवेल
सिंचाई और पेयजल आपूर्ति की जरूरतों के लिए बोरवेल बनाया जाता है। कई बार यह देखने में आया है कि कई सौ फीट तक गहरे इन बोरवेल को उपयोग के बाद ऐसे ही खुला छोड़ दिया जाता है। उसके आसपास घांस जम जाती है। ऐसे में अनजाने में कोई उस बोरवेल में गिर जाता है। कई बार बच्चे उत्सुकता से उसमें झांकने पहुंच जाते हैं और गिर जाते हैं।