Mahatma Gandhi death anniversary:
रायपुर। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नायक मोहनदास करमचंद गांधी की आज यानि 30 जनवरी को 74वीं पुण्यतिथि है। आज के दिन 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने बाबू की गोली मारकर हत्या कर दी थी। तो चलिए आज बापू की पुण्यतिथि पर बापू के छत्तीसगढ़ से जुड़ी कुछ यादें हम आपको बताते हैं।
उस दौरान देश में स्वतंत्रता संग्राम छिड़ा हुआ था। तब भारत भ्रमण के दौरान बापू आजादी की चिंगारी लेकर छत्तीसगढ़ भी पहुंचे थे। वे पहली बार 1920 में कंडेल सत्याग्रह में हिस्सा लेने के लिए छत्तीसगढ़ आए थे। दूसरी बार 1933 में वे छत्तीसगढ़ पहुंचे थे। उनकी छत्तीसगढ़ यात्रा के दौरान बहुत सारे दिलचस्प किस्से हैं।
छत्तीसगढ़ यात्रा के दौरान महात्मा गांधी की स्मृतियां
धमतरी जिले में किसानों ने की थी बगावत
इतिहासकार रामेंद्रनाथ मिश्र ने बताया ‘1920 में महात्मा गांधी भारत के सबसे बड़े नेता के तौर पर स्थापित हो चुके थे। देश के लोग अपनी आवाज महात्मा गांधी में खोजने लगे थे। तभी इस दौरान धमतरी के पास अंग्रेज सरकार की दमन नीतियों के खिलाफ किसानों ने बगावत कर दी।
प्रशासन द्वारा किसानों पर पानी चुराने का आरोप लगाकर लगान वसूली किया जा रहा था। उनके मवेशियों को भी जब्त किया जा रहा था। इससे इलाके के किसान बेहद दुखी थे।
अंग्रेजों के जुल्मों से तंग आकर छत्तीसगढ़ के स्थानीय नेताओं ने इस आंदोलन में महात्मा गांधी को शामिल करने का फैसला लिया और पंडित सुंदरलाल शर्मा महात्मा गांधी को लेने कोलकाता गए।
महात्मा गांधी के कंडेल सत्याग्रह में शामिल होने की खबर सुनकर सिंचाई विभाग के अधिकारियों के हाथ-पैर फूल गए और उन्होंने किसान के खिलाफ दिए गए आदेश को वापस ले लिया।
रायपुर में हुआ था भव्य स्वागत
महात्मा गांधी 20 दिसंबर 1920 को रायपुर रेलवे स्टेशन पर पहुंचे। इस दौरान रायपुर में उनका भव्य स्वागत किया गया। यहां उनकी एक झलक के लिए पूरा जनसैलाब उमड़ पड़ा था। गांधीजी ने जिस मैदान में जनसभा को संबोधित किया था आज भी उसे गांधी मैदान के नाम से जाना जाता है।
चबूतरे की ईंट निकाल ले गये लोग
उस दौरान महात्मा गांधी ने रायपुर के कंकाली पारा स्थित आनंद समाज लाइब्रेरी के पास एक विशाल जनसभा को संबोधित किया था। तब उन्हें सुनने के लिए बड़ी संख्या में जनसैलाब उमड़ पड़ा था। यहां तक कि जिस चबूतरे से गांधी जी ने सभा को संबोधित किया था। उस चबूतरे की ईंट को निकालकर लोग अपने साथ स्मृति के तौर पर ले गए।
तिलक स्वराजफंड में ने दिया दान
छत्तीसगढ़ के लोगों ने महात्मा गांधी की यात्रा के दौरान तिलक स्वराज फंड में दिल खोलकर दान दिया था। महिलाओं ने इस दौरान अपने गहने भी उतार कर दान दे दिए। फिर महात्मा गांधी रायपुर से सीधा नागपुर रवाना हो गए। वहां उन्होंने कांग्रेस के सम्मेलन में असहयोग आंदोलन करने की घोषणा की थी।
नवंबर 1933 में दोबारा छत्तीसगढ़ आए महात्मा गांधी
महात्मा गांधी 1920 के बाद 22 नवंबर 1933 को दोबारा छत्तीसगढ़ के दुर्ग में पहुंचे। यहां वे दुर्ग के घनश्याम सिंह गुप्त के निवास में रुके। उसी दिन शाम को महात्मा गांधी सभा को संबोधित करने वाले थे।
महात्मा गांधी 28 नवंबर तक रायपुर में ही थे। इस दौरान बूढ़ापारा स्थित शुक्र निवास में भजन कीर्तन का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में शहर के लोग शामिल होते थे। दिन में गांधीजी आसपास के इलाकों का दौरा करते थे इसके बाद शाम तक लौटकर रायपुर आ जाते थे। उनकी स्मृति में वहां चबूतरा भी बनाया गया है।
इतिहासकार रामेंद्र नाथ मिश्र ने बताया कि ‘ बापू ने छत्तीसगढ़ की इस यात्रा में छुआछूत को दूर करने और भेदभाव मिटाने के लिए लोगों को जागरूक किया। रायपुर में महात्मा गांधी अलग-अलग स्थानों पर रुके। माधव राव सप्रे मैदान में उन्होंने भाषण दिया था। मोती बाग में जो पहले ही विक्टोरिया गार्डन के नाम से जाना जाता था। वहां स्वदेशी प्रदर्शनी का उद्घाटन करने गए थे। फिर जब वे दोबारा आए तो राजकुमार कॉलेज के छात्रों के बीच उन्होंने उद्बोधन किया। जिसका प्रभाव वहां के स्टूडेंट पर पड़ा।
Back to top button