छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद को ख़त्म करने सीएम भूपेश ने गृह मंत्री अमित शाह को दिया सुझाव
रायपुर। छत्तीसगढ़ आज भी नक्सल घटनाओं के नाम से जाना जाता है। प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद से ही बस्तर से नक्सलियों को खत्म करने की कवायत जारी है। आज यानी सोमवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर बस्तर अंचल में नक्सल समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए है। सीएम बघेल ने पत्र में लिखा है कि बस्तर अंचल में नक्सलवाद की समस्या से निपटने के लिए यह आवश्यक है कि वर्तमान में जारी रणनीति के साथ ही प्रभावित क्षेत्रों में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसरों का सृजन किया जाए, जिससे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के बेरोजगार लोग विवश होकर नक्सली समूहों में शामिल न हो।
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मुख्यमंत्री ने नक्सल हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में वृहद पैमाने पर रोजगार उपलब्ध करने के लिए सुझाव दिया है कि बस्तर अंचल में लौह अयस्क प्रचुरता से उपलबध है। यदि बस्तर में स्थापित होने वाले स्टील प्लांट को 30 प्रतिशत डिस्काउन्ट पर लौह अयस्क उपलब्ध कराया जाए, तो वहां सैकड़ों करोड़ का निवेश और हजारों की संख्या में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर निर्मित होंगे। कठिन भौगोलिक क्षेत्रों के कारण बड़े भाग में अभी तक ग्रिड की बिजली नहीं पहुंच पाई है। सौर उर्जा संयंत्रों की बड़ी संख्या में स्थापना से ही आमजन की उर्जा आवश्यकता की पूर्ति और उनका आर्थिक विकास संभव है।
मुख्यमंत्री ने पत्र में यह भी सुझाव दिया है कि वनांचलों में लघु वनोपज, वन औषधियां और अनेक प्रकार की उद्यानिकी फसलें होती है। लेकिन उनके प्रसंस्करण और विक्रय की व्यवस्था न होने के कारण संग्राहकों को इनका समुचित लाभ नहीं मिल रहा है। उन क्षेत्रों में स्थापित होने वाली प्रसंस्करण इकाईयों और कोल्ड चेन निर्मित करने के लिए उदारतापूर्वक अनुदान दिए जाने की आवश्यकता है।
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इसी प्रकार के बस्तर में इन्द्रावती नदी पर प्रस्तावित बोधघाट बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना के क्रियान्वयन से सिंचाई और उर्जा क्षमता के विकास से बस्तर अंचल के बड़े भाग का कायाकल्प हो जाएगा। इस परियोजना की स्थापना के लिए भी केन्द्र सरकार से सहायता अपेक्षित है। मुख्यमंत्री ने पत्र में यह भी लिखा है कि वर्तमान में आकांक्षी जिलों (Aspirational Districts) को केंद्र सरकार की ओर से पृथक से कोई आर्थिक अनुदान नहीं दिया जा रहा। राज्य के बस्तर अंचल के सातों जिले आकांक्षी जिलों के रूप में चिन्हांकित है। उचित होगा कि लोगों की आजीविका के साधनों के विकास के लिए कलेक्टर्स को कम से कम 50-50 करोड़ रुपये की राशि हर साल दी जाए।