नई दिल्ली। कोरोना काल में काले धन में हुए अभूतपूर्व बढ़ोतरी का मुद्दा गरमा गया है। कालेधन को लेकर कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लिया है। विपक्षी दल ने कहा है कि कालेधन के मुद्दे पर केंद्र सरकार को श्वेत पर जारी करने को कहा है। कांग्रेस ने पूछा है कि ये किनके पैसे हैं? कौन लोग हैं जो आपदा में अवसर ढूंढ रहे हैं? सरकार उनके नाम जारी क्यों नहीं करती?
पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि, ‘भारतीय नागरिकों और कंपनियों द्वारा स्विस बैंक में जमा की जाने वाली धनराशि के साल, 2020 के आंकड़े स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) द्वारा जारी कर दिए गए।
एक तरफ लगभग 97 प्रतिशत भारतीय पिछले साल और ज्यादा गरीब हो गए तो दूसरी तरफ 2020 में स्विस बैंकों में जमा राशि बढ़ रही है’। उन्होंने बताया, ‘साल 2020 में स्विस बैंकों में कुल जमा राशि साल 2019 की तुलना में बढ़ कर 286 प्रतिशत हो गई। कुल जमा राशि 13 साल में सबसे ज्यादा है, जो साल 2007 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर है।
वल्लभ ने सवाल किया, ‘‘मोदी सरकार उन लोगों के नामों का खुलासा क्यों नहीं कर रही, जिन्होंने पिछले साल स्विस बैंकों में अपना पैसा जमा कराया? जब 97 प्रतिशत भारतीय और ज्यादा गरीब हो गए, तो ये कौन लोग हैं, जो ‘आपदा में अवसर’ खोज रहे हैं? भाजपा ने यह वादा भी किया कि विदेशी बैंकों में छिपाए गए इस काले धन को वापस लाया जाएगा और हर भारतीय को उसके खाते में 15 लाख रुपये मिलेंगे। लेकिन पिछले 7 सालों में, मोदी सरकार ‘बातों में महारत, काम में नदारद’ सरकार बन गई।’’
दरअसल, स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक ने सालाना रिपोर्ट में बताया है कि, ‘स्विस बैंकों में भारतीयों का निजी और संस्थागत एमाउंट 2020 में बढ़कर 2.55 अरब स्विस फ्रैंक (20,700 करोड़ रुपये से अधिक) तक पहुंच गया है। यह वृद्धि नकद जमा के तौर पर नहीं बल्कि प्रतिभूतियों, बांड समेत अन्य वित्तीय उत्पादों के जरिए रखी गई होल्डिंग से हुई है। स्विस बैंकों में यह कोष भारत स्थित शाखाओं और अन्य वित्तीय संस्थानों के जरिए रखा गया धन हैं।’
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