कोरोना महामारी के भय ने लोगों के दिलों में इस तरह डर घर कर लिया है कि लोगों ने अब एक-दूसरे के दुख में साथ देना भी छोड़ दिया है।ये एक ऐसा दौर है, जब मौत पर किसी का कांधा भी मुश्किल से मिल पता है।
यह तस्वीर छत्तीसगढ़ के पडोसी राज्य ओडिशा के पदमपुर की है। जहाँ टीबी के कारण एक शख्स पुनऊ माझी की मौत हो गई। बताया जा रहा है की वो 15 दिन से अस्पताल में भर्ती थे। उनकी पत्नी 5 घंटे तक आस पास के लोगों से मदद की गुहार लगाती रही, लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया। फिर वहां उनका भतीजा पहुंचा और उसने अकेले ही शव उठाकर मुक्तिधाम तक पहुंचाया।
दूसरी जाती में शादी करने के कारण समाज से कर दिया था बेदखल
आपको बता दें पुनऊ ने दूसरी जाति में शादी की थी जिसके कारण उसे समाज से निकाल दिया गया था। खीर्सापाली के रहने वाले पुनऊ टीबी से पीड़ित थे।15 दिन पहले उन्हें अस्पताल में भर्ती करा दिया गया था।
जहां उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। यह भी बताया जा रहा की है की उनकी कोविड-19 रिपोर्ट भी निगेटिव थी। पुनऊ ने दूसरी जाति में विवाह किया था। जिसके चलते उसे समाज से बेदखल कर दिया गया था। इसी करण बीमारी में कोई हालचाल पूछने भी नहीं आया। यहां तक कि पुनऊ के अपने परिजन भी न उसे देखने आए और न ही पुनऊ के अंत्येष्ठी में शामिल हुए।
कोई संतान न होने के कारण मायके से आया था भतीजा
पुनऊ की कोई संतान न होने के कारण उसकी पत्नी के मायके से उसका भतीजा आया था उसकी भी गुहार सभी ने अनसुनी कर दी। पुनऊ के मौत के बाद उसकी पत्नी क्षीर बरिहा ने सबसे मदद मांगी, लेकिन कोई आगे नहीं आया। इस दौरान करीब 5 घंटे तक शव घर में पड़ा रहा। फिर पुनऊ की पत्नी ने अपने मायके में सूचना दी तो उसका भतीजा रामेश्वर बरिहा खीर्सापाली पहुंचा। उसने भी ग्रामीणों से कंधा देने का अनुरोध किया, पर किसी के कानों में जू तक न रेंगी और कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया । इसके बाद रामेश्वर ने खुद ही शव को पीठ पर लादा और मुक्तिधाम पहुंच गया। वहां उसने खुद गढ्डा खोदकर शव को दफनाया।
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