Crime: रेमडीसिविर की बॉटल्स में एंटीबायोटिक्स भरकर बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश, स्टाफ नर्स गिरफ्तार
मैसूर| कर्नाटक के मैसूर के एक निजी अस्पताल में काम करने वाले स्टाफ नर्स को ‘फर्जी रेमडेसिविर’ बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है| आरोप है कि वो जरूरतमंद मरीजों को रेमडेसिविर की खाली शीशियों में सस्ती एंटीबायोटिक दवाइयां या घोल भरकर बेचता था|
मैसूर पुलिस के अनुसार, आरोपी की पहचान गिरीश के रूप में हुई है| प्रारंभिक जांच के बाद, पुलिस ने पुष्टि की कि उन्होंने 41 नकली रेमेडिसविर इंजेक्शन और 2.82 लाख रुपये की नकद राशि जब्त की है|
पुलिस ने कहा कि गिरीश ने स्थिति का फायदा उठाया क्योंकि उसे स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में काम करने वाले एक ऐसे ही शख्स के बारे में पता था| मैसूरु शहर के पुलिस आयुक्त चंद्रगुप्त ने कहा, “गिरीश ने अपने संपर्कों की मदद से रेमडेसिविर इंजेक्शन की खाली शीशियों को खट्टा किया. फिर उन्होंने इसे Ceftriaxone (एक एंटीबायोटिक दवा) या Saline Solution के साथ भर दिया|
इसकी बिक्री में दो मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (प्रशांत और मंजूनाथ) ने मदद की थी|” धोखाधड़ी का पता सेंट्रल क्राइम ब्रांच के अधिकारियों द्वारा शहर में रेमडेसिविर की अवैध होर्डिंग पर नजर रखने के लिए की गई छापेमारी के दौरान चला. पुलिस ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि गिरीश उन लोगों में से है जिन्होंने काले बाजार में इंजेक्शन को महंगे दामों में बेचा था|
मामले की जांच कर रही जांच टीम के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सोमवार तक 900 से अधिक ऐसी फर्जी रेमडेसिविर शीशियां बेची गईं| उन्होंने कहा, “हम उन मसलों पर गौर कर रहे हैं जिन्होंने उन्हें खरीदा है| इस बीच, यह पता चला है कि शिवप्पा, जो एक निजी अस्पताल में सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करता है, और मंगला, जो एक निजी कोविड देखभाल केंद्र में हाउसकीपिंग टीम का हिस्सा है, ने भी बिक्री को अंजाम देने में अभियुक्तों की मदद की थी|”
पुलिस ने कहा कि नाजराबाद पुलिस स्टेशन में दर्ज एक मामले के आधार पर आगे की जांच चल रही थी, गिरीश इसी इलाके में रहता है| उन्होंने कहा, “भारतीय दंड संहिता की धारा 276, 420 (धोखाधड़ी), और 34 और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के तहत मामला दर्ज किया गया है|”