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ज्यादा न सोचें: आपकी ओवरथिंकिंग करने की आदत मानसिक और शारीरिक रूप से पहुंचाती है नुकसान, जानिए कैसे

ओवरथिंकिंग का हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है। इसलिए ज़रूरत से ज़्यादा सोचने से बचें।
जानिए क्यों हमें ओवरथिंकिंग से परहेज करना चाहिए
कई लोगों की आदत होती है ज़रूरत से ज़्यादा सोचने की। चाहे बात छोटी ही क्यों न हो, वे बहुत ज्यादा सोचने लग जाते हैं। जैसे कभी पति घर लेट आए तो वे ये सोचने लग जाते हैं कि कहां गए होंगे, देर क्यों हो गई, कहीं कुछ ग़लत न हो गया हो, वग़ैरह-वगै़रह। इसी तरह ही बच्चे अगर कहना नहीं मानते तो परेशान होकर कारण ढूंढने लग जाते हैं। किसी के द्वारा तारीफ़ पाने पर उसके पीछे उसका स्वार्थ जानने का प्रयास करने लगते हैं या तारीफ़ को ताने की तरह लेने लगते हैं और भी बहुत। इन सभी बातों के बारे में लगातार सोचने से नकारात्मकता और तनाव बन जाता है। इस कारण से व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। अधिक सोचने यानी कि ओवरथिंकिंग के कई कारण होते हैं, तो आईये,जानते हैं उनके बारे में और कुछ ऐसे नुस्खे जिससे इससे बचा जा सकता है।
बचपन से पड़ती आदत
किसी बात को पकड़े रहना या फिर उस बारे में बहुत ज़्यादा सोचने की आदत अधिकांश लोगों में लंबे समय में लगती है। ख़ासकर बचपन में यह आदत लगती है। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी बच्चे के द्वारा खिलौना टूट जाता है तो उसे लगता है कि उसके माता-पिता अब उसे डांटेंगे या कभी खिलौने नहीं दिलाएंगे। इसलिए बच्चा इस बात को लेकर चिंतित रहता है। इस वजह से यह ओवरथिंकिंग उसे कभी भी सुरक्षित एहसास नहीं दिलाती। लेकिन अगर वाकई में डांट पड़ जाती है तो वह आगे और डरा हुआ महसूस करता है।
पुरानी घटनाएं
कई बार इस तरह की सोच का कारण पहले घटी घटनाएं हो सकती हैं। जैसे कि घर में किसी के साथ ग़लत व्यवहार या एक्सीडेंट की घटना या पैसों को लेकर परेशानी रहना या लोगों का ताने मारना इत्यादि। इस वजह से मन में ये सब घर कर जाता है और फिर बार-बार वही नज़र आता है। कभी कोई देर से आए तो लगने लगता है कि कहीं एक्सीडेंट न हो गया हो, बेबी प्लान करने के बारे में सोचने पर लगता है अच्छी परवरिश कैसे होगी, कोई प्रशंसा भी करे तो लगता है कहीं वे ताने तो नहीं मार रहे। पिछले समय में जो हुआ वो साथ चला आता है।
अगले दिन की चिंताएं
ज्यादातर महिलाओं में ये समस्या अधिक देखी जाती है कि वो अगले दिन को लेकर बहुत अधिक सोचती हैं। जैसे सुबह नाश्ते में क्या बनाएं, खाना क्या बनेगा, टिफिन में क्या रखना है। सब्ज़ी नहीं है, बच्चे ये नहीं खाते आदि। इस बारे में वे लगातार सोचती रहती हैं और परेशान होती हैं। धीरे-धीरे ये आदत हर बात पर लागू होने लगती है। लगातार विचार करना उनकी दिनचर्या को भी प्रभावित करता है और साथ ही मानसिक स्वास्थ को भी।
कुछ अन्य कारणों पर भी करें ग़ौर
— कुछ लोग इसलिए ज़्यादा सोचते हैं क्योंकि इससे उन्हें सहानुभूति और दया मिलती है जो उन्हें सहज महसूस कराती है।
— अधिक सोचना टालने या फैसलों से बचने का एक बहाना भी हो सकता है।
— अधिक सोचना, पहले से तय निर्णय को भी बदलने का प्रयास होता है। जैसे कुछ पसंद नहीं तो उसमें हेरफेर करने के लिए लगातार नए सुझाव देना।
3M से जोड़ें नाता….
मूव (Move) : दिमाग़ पर ज़्यादा जोर डालने से बचने के लिए अपने शरीर पर अधिक ध्यान दें।
मेक (Make) : क्रिएटिविटी और प्रोडक्टिविटी आपको अस्वस्थ मानसिक और भावनात्मक स्थिति से उबरने में मदद करती है।
मीट (Meet) : मानव यानी सामाजिक प्राणी होने के नाते लोगों से मिलना और जुड़ना हमेशा ही सकारात्मकता लेकर आता है और यह हमें अत्यधिक चिंतन व सोच-विचार से दूर रखने में मदद करता है।
क्या है उपाय
आज में जिएं –
यह एक मूल मंत्र है कि हमें आज में जीना चाहिए। आज में क्या हो रहा है उस पर ध्यान लगाना चाहिए। इसलिए कल के बारे में सोचकर परेशान रहने की बजाय आज को खुलकर जीना सीखें। इसके लिए आपको बस थोड़े से ही प्रयास करने होंगे। टिफिन को लेकर, खाने को लेकर परेशान होती हैं, तो हफ्तेभर की योजना बनाकर रखें। अगर कोई मेहमान आने वाले हैं तो कुछ इंतज़ाम आप पहले ही कर लें, बच्चे की पढ़ाई के लिए अलग कमरा दे दें, नाश्ते के लिए ब्रेड, रेडी टू ईट नाश्ता लाकर रखें, ताकि आपको नाश्ता बनाने का झंझट ज़्यादा न हो।
छोटी ख़ुशिया पाएं –
अगर कभी भी मन में फिज़ूल विचार आने लगें तो हमेशा ख़ुश करने वाली बातें सोचें, जैसे कि पहली बार गाड़ी चलाने का अनुभव कैसा था या बचपन में कौन-सी आइसक्रीम आपको सबसे ज़्यादा पसंद थी। मनपसंद चॉकलेट खाएं, फ्रिज में टॉफी-चॉकलेट्स रखें। इससे आपका मन प्रसन्न रहेगा।
ख़ुद को अलग कर लें –
आप अपने आप को दुनियाभर की चिंताओं से अलग कर लें। अपनी मनपसंद गतिविधियां करें। जैसे- आप चाहें तो अपना पसंदीदा खाना बना सकते हैं। गार्डनिंग यानी पेड़-पौधों की देख-रेख में अपना समय बिता सकते हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि आपको पूरे दिन यही करना है, लेकिन सिर्फ़ 30 मिनट देकर भी आप ख़ुद को ओवरथिंकिंग से बचा सकते हैं। इसके अतिरिक्त ध्यान का अभ्यास करें। आरामदायक जगह पर बैठ जाएं और एक हाथ के ऊपर दूसरा हाथ रखकर इन्हें पेट पर रखें। नाक से लंबी सांस लें और मुंह से छोड़ें। छाती और पेट से सांस आने-जाने के क्रम को महसूस करें।इससे आपको बडी राहत मिलेगी।
मदद लें –
अगर आपको लगता है कि आपने हर संभव कोशिश कर ली है और बाहरी मदद लेने के लिए तैयार हैं। तो अपने किसी मित्र से बात करके भी शुरुआत कर सकते हैं। इसके बाद आप किसी पेशेवर थैरेपिस्ट की मदद ले सकते हैं, जो आपको ओवरथिंकिंग से बचने के कई तरीके बता सकते हैं।

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