बस्तर . लॉकडाउन का उपयोग नक्सलियों ने अपनी ताकत बढ़ाने में किया है। इस दौरान उन्होंने अपनी बटालियन के लिए तीसरी कम्पनी का भी गठन कर लिया है। नए लड़ाकों की ट्रेनिंग के पश्चात तैनाती भी कर दी है। नक्सलियों ने सेंट्रल रीजनल कमांड के इलाके में बढ़ रही चुनौतियों के मद्देनजर नए कैडर तैनात कर उसे और मजबूत करने का प्रयास तेज कर दिया है। इसका खुलासा हाल ही में हैदराबाद तेलंगाना डीजीपी के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली नेता व डीकेएसजेडसी के पूर्व सचिव रामन्ना के पुत्र रावलू रंजीत उर्फ श्रीकांत ने तेलंगाना पुलिस से पूछताछ के दौरान किया।
नई कम्पनी में 200 से अधिक लड़ाके
तेलंगाना के पुलिस सूत्रों के मुताबिक नक्सली अपनी बटालियन में संख्या बल बढ़ाने की कवायद में पिछले दो वर्षों से लगे थे। इसके लिए ड्रापआउट स्कूली बच्चों पर पहले से ही उनकी नजर थी। छत्तीसगढ़ के अलावा सीमावर्ती ओडिशा, महाराष्ट्र और तेलंगाना के कई सीमाई जिलों के ग्रामीण बच्चों को भी नक्सलियों ने अपने संगठन में भर्ती किया है। कोरोना काल के पूर्व वर्ष 2019 में नक्सलियों ने अबूझमाड़ में ट्रेनिंग कैम्प लगा कर लगभग 100 युवा लड़ाकों को प्रशिक्षण दिया था। इसके बाद कोरोना की पहली लहर के दौरान जब बच्चे हॉस्टल-आश्रम से घर पहुंच गए थे तो इन्हें नक्सली फुसलाकर अपने साथ ले जाने में कामयाब रहे। उन्हें कैम्प ले जाकर नक्सलवाद का पाठ पढ़ाया और हथियारों की ट्रेनिंग भी दी।
अबूझमाड़ में तैनात की गई नई कम्पनी
तेलंगाना के पुलिस सूत्रों के मुताबिक रंजीत ने बताया है कि नई कम्पनी के अधिकांश लड़ाकों को अबूझमाड़ में तैनात किया गया है। यहां पहले बटालियन की कम्पनी नं.1 की दो प्लाटून तैनात थी अब इनके साथ-साथ कम्पनी नम्बर 3 की भी यहां तैनात हो गई है। अबूझमाड़ को दो भागों में विभाजित करने वाली पल्ली-बारसूर सड़क का निर्माण रोकने, क्षेत्र में प्रस्तावित नए थाना-कैंपों और बोधघाट परियोजना का विरोध में नक्सली इस नई कम्पनी का उपयोग करेंगे।
सीआरसी को मजबूत करने की कवायद
नक्सलियों ने मध्य क्षेत्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी सेन्ट्रल रीजनल कमांड को सौंपी है। इसकी भी 3 कम्पनियां है। हाल ही में पुलिस द्वारा खोले जा रहे नए कैम्पों से नक्सलियों को चुनौती का सामना करना करना पड़ रहा है। इसी कारण अब वे सीआरसी को मजबूत करने में जुटे हैं। पिछले दिनों नक्सली नेता देवजी ने इसकी समीक्षा भी की है। हालांकि कोरोना काल में कई नक्सली नेताओं की मृत्यु भी हो चुकी है। ऐसे में नक्सली पुन: संगठित होकर पुलिस को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं।