आस्थागुप्तचर विशेष
बंद मंदिर में भी 6 महीनों तक नहीं बुझती है बाबा की ज्योत, पांडवों ने की थी शिवलिंग स्थापना, पढ़ें केदारनाथ के चमत्कारी रहस्य
केदारनाथ मंदिर: भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक जो की सबसे ऊंचाई पर स्थित है केदारनाथ। जिसका कपाट आज सुबह 5 बजे पूरे विधि-विधान से खोला गया। आज से अगले 6 माह तक भगवान केदार की यहाँ पूजा होगी। कोरोना महामारी को देखते हुए उत्तराखंड शासन ने मंदिर में आमलोगों के आने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। आज हम इस पावन अवसर पर आप सभी को केदारनाथ मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य और यहाँ के महत्व के बारे में बताते हैं।
सिर्फ 6 महीने ही होते हैं बाबा केदारनाथ के दर्शन
भगवान केदार के दर्शनों के लिए बैशाखी बाद ही केदारनाथ मंदिर को खोला जाता है, इसके 6 माह बाद दीपावली के बाद पड़वा को केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद फिर से बंद कर दिए जाते हैं। बर्फबारी के कारण 6 माह तक मंदिर बंद रहता है कयोंकि यह मंदिर बहुत ऊंचाई पर है और बर्फ बरी की कारण यहाँ किसी का भी जाना आसम्भव हो जाता है जिसके कारण इस मंदिर के कपाट ठण्ड के माह में बंद कर दिए जाते हैं।
6 महीनों तक लगातार जलती है ज्योत
आप को बता दें जब बाबा केदारनाथ का मंदिर बंद होता है तो पुजारी यहाँ मंदिर के अंदर एक दीपक जलाकर जाते हैं। फिर जब 6 माह बाद गर्मियों मंदिर के कपाट खुलते हैं, तो वह दीपक वैसे ही जलते हुए मिलता है जैसा पुजारी वहां से 6 माह पहले छोड़ कर जाते हैं।
केदारनाथ मंदिर की कथा जुड़ती है पांडवों से
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब द्वापर युग था तब पांडवों ने महाभारत का युद्ध जीता था, युद्ध जितने के बाद पांडव आत्मग्लानि से भर गए क्योंकि वे अपने भाइयों और रिश्तेदारों के वध से काफी दुखी हो गए थे और वे इस पाप से मुक्त होना चाहते थे। तब वे सब भगवान शिव के दर्शनों के लिए काशी पहुंचे।
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जब भगवान शिव को जब पता चला की पांडव उनके दर्शन के लिए काशी आ रहे हैं तो भगवान शिव नाराज होकर केदार आ गए।तब पांडव भी महादेव के दर्शन के लिए उनके पीछे-पीछे केदार तक चले आए। तब भगवान शिव ने बैल का रुप धारण कर लिए और पशुओं के झुंड में शामिल हो गए। तब भीम ने एक विशाल रुप धारण किया और दो पहाड़ों पर अपने पैर फैला दिए जब भीम ने पैर फैलाया तो सभी पशु उनके पैर के नीचे से चले गए, लेकिन महादेव नहीं गए और महादेव अंतर्ध्यान होने लगे, तभी भीम ने महादेव की पीठ पकड़ ली।
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पांडवों की दर्शन की इस चाहत को देखकर शिव जी उन पर प्रसन्न हो गए और उन्हें दर्शन दिए। तब पांडव पाप से मुक्त हो गए। उसके बाद पांडवों ने वहीँ पर मंदिर का निर्माण कराया जहाँ भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिया था। और उस मंदिर को आज हम सब केदारनाथ मंदिर के नाम से जानते हैं केदारनाथ मंदिर में आज भी बैल की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में पूजा जाता है। हर साल लाखों श्रद्धालु बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए यहाँ आते हैं।
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