किसान अब खेती में खुद से नये प्रयोग करने लगे हैं और साथ साथ नयी नयी चीजों की खेती भी कर रहे हैं। किसान अब नयी किस्म को फल सब्जी और फसलो की खेती कर रहे हैं। जिससे फसल अच्छी हो। फसलों में आजकल काले गेहूं और काले धान की खेती की तरफ किसानों का रुझान हुआ है क्योंकि इससे अच्छी कमाई कि जा सकती है।देश में गेहूं की भिन्न भिन्न प्रजातियां उपलब्ध हैं।
इसमें कुछ प्रजाति रोग प्रतिरोधक हैं तो कुछ का उत्पादन की दृष्टि से अधिक होता है, लेकिन इनके बीज एक जैसे रहते हैं काला गेंहू का बीज अपने नाम के अनुसार काला होता है। काले गेहूं की फसल रबी के मौसम में की जाती है, लेकिन इसकी बुवाई के लिए नवंबर का महीना सबसे अच्छा माना गया है। इसके लिए नमी बेहद जरूरी होता है। यदि आप नवम्बर के बाद काले गेहूं की बुआई करते है तो उपज में कमी होती है।
कालां गेंहू और सामान्य गेहूं का आकार तो बराबर होता है, लेकिन इसमें कई औषधीय गुण भी पाये जाते है। जिसके कारण बाजार में इसकी मांग अच्छी बनी रहती है। सामान्य गेहूं की तुलना में काले गेहूं से होने वाले फायदे में अधिक होते है।
साधारण गेहूं से कितना अलग
काले गेहूं में एन्थोसाइनीन पिगमेंट की मात्रा ज्यादा होती है इसके कारण यह काला दिखाई देता है। सफेद गेंहू में एंथोसाइनिन की मात्रा 5 से 15 पीपीएम होती है जबकि काले गेहूं में इसकी मात्रा 40 से 140 पीपीएम होती है। काले गेंहू में एंथ्रोसाइनीन (एक नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट व एंटीबायोटिक) प्रचुर मात्रा में पाया जाता है , जो हार्ट अटैक, कैंसर, डायबिटीज, मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया जैसे रोगों में काफी कारगर सिद्ध होता है।
काले गेंहू की खेती में जिंक और यूरिया को खेत में डालें। डीएपी डालने के लिए ड्रिल का इस्तेमाल करें। गेहूं की बुवाई करते समय प्रति एक खेत में 50 किलो डीएपी, 45 किलो यूरिया, 20 किलो म्यूरेट पोटाश और 10 किलो जिंक सल्फेट का इस्तेमाल करना चाहिए। फिर पहली सिंचाई के समय व 60 किलो यूरिया डालना चाहिए।
साथ ही सिंचाई का विशेष ध्यान देना चाहिए काले गेंहू की पहली सिंचाई बुवाई के तीन हफ्ते बाद करना चाहिए। इसके बाद समय समय पर सिंचाई करते रहे हैं। बालियां निकलने से पहले और दाना पकते समय सिंचाई जरूर करना चाहिए।