कोंडागांव। किसानों में नवाचारी की वजह से राजधानी रायपुर की फिजाओं में अब कोण्डागांव में पैदा हो रहे डच गुलाबों की खुशबू महकने लगी है। जिले के चुरेगांव निवासी रामसाय मरकाम अब अपने परंपरागत फसलों की खेती को छोड़कर गुलाब की खेती कर रहे हैं।
इस आदिवासी किसान की नवाचारी सोच से न केवल खेती के तौर-तरीके बदले बल्कि, परंपरागत खेती को छोड़कर अब इस किसान ने अपने पूरे चार एकड़ जमीन पर गुलाब की खेती करने का मन बना लिया है।
रामसाय ने बताया कि वे अब तक अपने परिवार की जमीन पर मक्का व धान की खेती करते आ रहे थे, लेकिन इसमें लाभ नहीं मिल पा रहा था, इसलिए उन्होंने खेती के तरीके में ही बदलाव करने की सोची। इसके लिए उन्होंने उद्यानिकी विभाग से फूलों की खेती का प्रशिक्षण लिया। भले ही स्थानीय स्तर पर फूलों की ज्यादा मांग तो नहीं है, लेकिन राजधानी सहित अन्य शहरों में इसकी काफी डिमांड है। जिले में फिलहाल दो युवा किसानों के द्वारा गुलाब की खेती कर रहे हैं।
आवश्यकता और मांग ने किया आकर्षित
एक दिन उनके मन में विचार आया कि फूलों की खेती स्थानीय स्तर पर क्यों नहीं हो रही, बेंगलूरु आदि से फूलों की आपूर्ति स्थानीय स्तर पर होती है। इसी सोच के चलते उन्होंने अपने चार एकड़ के खेत में शुरुआती दौर में एक एकड़ में पाली हाउस स्थापित कर फूलों की खेती शुरू की और रोपण के तीन माह के बाद इसमें फूल आने लगे। वे अभी दो माह के भीतर ही तीन क्विंटल से ज्यादा का फूल बेच चुके हैं।
वे कहते है कि, बाकी फसल में तो तीन से चार माह की कड़ी मेहनत के बाद एक बार ही उत्पादन मिलता है, लेकिन गुलाब की खेती में रोपण के तीन बाद से उत्पादन शुरू हो जाता है जो लगातार तीन सालों तक चलता रहता है। इसमें समय-समय पर कांट-छांट करते रहना होता है।