Hanuman Jayanti, Girijabandh Hanuman Temple Ratanpur Chhatisgarh : देशभर में 16 अप्रैल को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। तो आइए जानते हैं रतनपुर के एक खास हनुमान मंदिर के बारे में जहां नारी स्वरूप में होती है हनुमान जी की पूजा।
भारत में हर हिंदू मंदिर की अपनी विशेष मान्यताएं और पौराणिक कथाएं होती हैं। इन मंदिरों का अपना अलग पौराणिक महत्व होता है। ऐसा ही कुछ छत्तीसगढ़ के रतनपुर में स्थित हनुमान मंदिर के बारे में है यहां की अनोखी बात यह है कि यहां हनुमान जी की पूजा और मंदिरों से हटकर नारी के स्वरूप में की जाती है।
यह मंदिर रतनपुर जिले के गिरिजाबंध में स्थित है और श्रद्धालुओं के बीच इसका खास महत्व है। हनुमान जी के नारी स्वरूप में पूजन के पीछे यह मान्यता है कि यहां हनुमान जी नारी रूप में समाज की रक्षा करते हैं। यह संसार का एकलौता मंदिर है जहां हनुमान जी स्त्री स्वरूप में पूजे जाते हैं।
Girijabandh Hanuman Temple- हनुमान मंदिर के पीछे की पौराणिक कथा
यहां के ग्रामीणों से बात करने पर पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण राजा पृथ्वीदेवजू जी द्वारा कराया गया था। यहां स्थित हनुमानजी की प्रतिमा लगभग 10,000 साल पुरानी स्वयंभू प्रतिमा बताई जाती है। जो स्वयं से प्रगट हुई है इस मंदिर निर्माण के पीछे की कहानी यह है कि यहां के राजा पृथ्वीदेवजू एक परम हनुमान भक्त थे और हमेशा हनुमान जी के ध्यान में लगे रहते थे। एक बार राजा को कुष्ठ रोग हो गया और जब रोग ठीक नहीं हुआ तो उन्हें एक दिन हनुमान जी ने स्वप्न में दर्शन दिए और अपना मंदिर निर्माण कराने का आदेश दिया।
हनुमान जी की बात सुनकर राजा ने एक मंदिर का निर्माण कराया इसके बाद हनुमान जी ने एक बार और स्वप्न में आकर राजा को अपनी प्रतिमा महामाया कुंड से निकालकर मंदिर में स्थापित करने को कहा इस प्रकार स्त्री स्वरूप प्रतिमा की से मंदिर में स्थापना की गई तब से आज तक इस मंदिर में हनुमान जी की नारी स्वरूप में पूजा की जाती है।
Girijabandh Hanuman Temple- क्यों इतनी खास है यह हनुमान प्रतिमा
यूं तो हर मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित होती है पर गिरिजाबंध के मंदिर की यह प्रतिमा इसलिए भी खास है क्योंकि यह प्रतिमा स्वयंभू है यानी स्वयं से प्रगट हुई प्रतिमा है। साथ ही इस प्रतिमा में हनुमान जी का रूप एक नारी के समान प्रतीत होता है जो आने वाले भक्तों को अपनी ओर और भी आकर्षित करता है।
इस हनुमान प्रतिमा के बाएं कंधे पर जहां भगवान श्रीराम स्थित है वहीं बाय पर लक्ष्मण जी को विराजित देखा जा सकता है। साथ ही हनुमान जी के पैरों के नीचे दो राक्षसों को भी देखा जा सकता है यह प्रतिमा दक्षिण मुखी हनुमान प्रतिमा है।