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Health Tips: तनावमुक्त रहने के लिए खाए और नाचे, पर इस तरह…

द गुप्तचर डेस्क|  हॉर्मोन्स और न्यूरोट्रांसमीटर्स हमारे मूड और फीलिंग्स को बहुत गहराई तक प्रभावित करते हैं, इतना कि हम अच्छा फील कर रहे हैं या बुरा यह भी हमारे हॉर्मोन्स पर निर्भर करता है। हमारे ब्रेन में कुछ पर्टिकुलर नव्र्स हैं जो खुशी और दुख जैसी भावनाओं की अनुभूति कराती हैं और इसी फील पर हमारा मूड डिपेंड करता है कि हम हैपीनेस फील करेंगे या सेडनेस।

एंग्जाइटी से बचाने के लिए जरूरी: हमें एंग्जाइटी जैसी मानसिक बीमारी से बचाने का काम करता है एस्ट्रोजन हॉर्मोन। जिन लोगों में एस्ट्रोजन की कमी होती है, उनका मूड हर समय खराब रहता है और वे बहुत चिड़चिड़े हो जाते हैं। महिलाओं में खासतौर पर मेनॉपॉज के वक्त एस्ट्रोजन की कमी हो जाती है, इस कारण उन्हें बहुत जल्दी इरिटेशन होने लगती है।

मूड स्विंग्स से बचाने का काम: प्रोजेस्टेरॉन हॉर्मोन हमें चिंता, चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग्स से बचाता है। महिलाओं में आमतौर पर 35 साल से 40 साल की उम्र के बीच यह हॉर्मोन प्राकृतिक रूप से कम होने लगता है। क्योंकि यह उम्र महिलाओं में प्रीमेनॉपॉज ऐज कहलाती है। यानी रजोनिवृत्ति से पहले का वक्त।

मूड स्विंग्स से बचाने का काम: प्रोजेस्टेरॉन हॉर्मोन हमें चिंता, चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग्स से बचाता है। महिलाओं में आमतौर पर 35 साल से 40 साल की उम्र के बीच यह हॉर्मोन प्राकृतिक रूप से कम होने लगता है। क्योंकि यह उम्र महिलाओं में प्रीमेनॉपॉज ऐज कहलाती है। यानी रजोनिवृत्ति से पहले का वक्त।

सेरॉटोनिन बनाता है मूड को बेहतर: एक्सर्साइज से इंडोर्फिन निकलता है और मनपसंद खाने, गाना सुनने या कोई पसंद का काम करने से डोपामाइन रिलीज होता है। वहीं सेरॉटोनिन मूड बूस्टर की तरह काम करता है। यह ऐंटीडिप्रेसेंट भी है। यानी हमें डिप्रेशन में जाने से बचाता है। ये तीनों ही न्यूरोट्रांसमीटर्स हमारे मूड को सही रखने और हमें मेंटली हेल्दी रखने में मदद करते हैं।

डोपामाइन रखता है दिमाग को शांत: डोपामाइन को प्लेजर हॉर्मोन भी कहते हैं। सेक्शुअल ऐक्टिविटी से भी डोपामाइन रिलीज होता है। किसी भी ऐक्टिविटी को लेकर हमारा एक्साइटमेंट भी इसी की देन होती है। डोपामाइन किसी भी मनपसंद काम को करने पर रिलीज होता है। इसलिए कहा जाता है कि अपनी पसंद को वरीयता दें और खुश रहें।

ऑक्सीटोसिन है बढ़ाता है प्यार: ऑक्सीटोसिन को लव हॉर्मोन के नाम से भी जाना जाता है। मेडिकल एक्सपर्ट्स के अनुसार ऑक्सिटोसिन एक ऐसा हॉर्मोन है जो हमारे अंदर संतुष्टि का भाव पैदा करता है।

जिन लोगों को हम बहुत प्यार करते हैं और जिनका अपने आस-पास होना हमें अच्छा लगता है, उन लोगों के साथ वक्त बिताने पर ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन रिलीज होता है और हमारा मूड अच्छा रहता है।

ऐसे बनाए रखें हैपी हॉर्मोन्स का स्तर:

  • प्रोजेस्टेरॉन हॉर्मोन कम हो जाने से तनाव बढ़ता है। इसका लेवल बनाए रखने के लिए महिलाओं को हेल्दी डायट लेनी चाहिए। ऐसी ऐक्टिविटीज करें, जो आपको खुशी दें।
  • हमारी बॉडी में हैपी हॉर्मोन्स का स्तर बढ़ाने में माइक्रोन्यूट्रिऐंट्स बहुत महत्वपूर्ण रोल अदा करते हैं। बॉडी को भरपूर मात्रा में माइक्रोन्यूट्रिऐंट्स मिलें इसके लिए आप ड्राई फ्रूट्स खाएं। इससे हमारे शरीर को हैपी हॉर्मोन्स के सीक्रेशन में करने में मदद मिलती हैं।
  • ऐसा फूड खाएं जिससे फाइबर और कार्बोहाइड्रेट मिले। जैसे, हरी सब्जियां और साबुत अनाज और मौसम के अनुसार आनेवाले फल।
  • जब हम अपने किसी भी काम को प्लानिंग के हिसाब से करते हैं तो अपने आप को कई तरह के तनाव से मुक्त कर लेते हैं। बेवजह के स्ट्रेस से बचने के लिए जरूरी है कि आप अपनी प्राथमिकता के हिसाब से अपने कामों की लिस्ट बनाएं।
  • गाने सुनना और डांस करना हमारे मूड को रिलैक्स करता है। इन ऐक्टिविटीज का हमारे दिमाग पर तुरंत असर दिखता है। इसलिए अपनी पसंद का संगीत सुने, डांस करें और हैपी हॉर्मोन्स के लेवल को बनाए रखें।
  • स्ट्रेस रिलीज करने के लिए गहरी सांस लें, योग और मेडिटेशन करें। इससे आपको तनाव मुक्त रहने और सही निर्णय लेने में मदद मिलेगी।

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