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डीलिस्टिंग महारैली में आदिवासियों ने धर्मांतरित व्यक्तियों को बाहर करने की रखी मांग

धर्मांतरण के मुद्दे पर भी जोर शोर से उठाई आवाज

रायपुर। धर्मांतरित व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति की सूची बाहर करने की मांग को लेकर रविवार को राजधानी में डीलिस्टिंग महारैली का आयोजन किया गया है. जनजाति सुरक्षा मंच छत्तीसगढ़ के बैनर तले आयोजित रैली में आरक्षण और धर्मांतरण का मुद्दा जोर-शोर से उठाया। आदिवासियों का आरोप था कि धर्मांतरित आदिवासी विदेशी सहायता से आगे बढ़ कर उनके अधिकारों को हड़प रहे हैं।
इस रैली में बड़ी संख्या में जनजाति समाज के लोग शामिल हुए रैली से पहले सभा के जरिए डीलिस्टिंग की मांग उठाने की जरूरत पर वक्ताओं ने प्रकाश भी डाला। जनजाति सुरक्षा मंच की ओर से मांग की गई कि जिन नागरिकों ने अपने मूल संस्कृति और अपने मूल धर्म को छोड़कर विदेशी धर्म अपनाया है, उन्हें अनुसूचित जनजाति की श्रेणी से तत्काल बाहर किया जाए, और इसके लिए आवश्यक संवैधानिक संशोधन किया जाए।
मंच से कहा गया कि छत्तीसगढ़ में भी बड़ी संख्या में धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों के द्वारा मूल जनजातियों के हिस्से की सुविधाओं को हड़पा जा रहा है, इसलिए धर्मांतरितों को डिलिस्टिंग किया जाए। उनका यह भी आरोप था कि ये विदेशी धर्म अपना कर उनसे सहायता प्राप्त करते हैं और दूसरी तरफ स्वयं को आदिवासी बता कर आदिवासी सुविधाओं का भी लाभ लेते हैं। याने उनके दोनों हाथ में लड्डू होता है।
वैसे इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी बाइट में पहले ही कह दिया है कि यह महारैली भाजपा समर्थितों द्वारा प्रायोजित है । अच्छा होता कि यह महारैली नई दिल्ली में होती। इस संदर्भ में जब द गुप्तचर ने मसीही आदिवासियों से चर्चा की तो उनका कहना था भारत एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है जहां हर किसी को किसी भी धर्म व पूजा पद्धति मानने की स्वतंत्रता है। हमरा धर्म ईसाई है और हमारी जाति आदिवासी है ऐसे में फर्क कहां पड़ रहा है।

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